रायगढ़. वनवास के दौरान जब सीता प्यास से व्याकुल हो उठी थी तो श्रीराम ने अपने तीर से पाताल को भेद कर पानी का सोता बहा दिया था. यह सोता आज भी छत्तीसगढ़ में विद्यमान है. इस सोते का पानी कभी सूखता नहीं है. निरंतर बहते इस निर्मल जल के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसे पीने से बहुत से रोगों का शमन हो जाता है. इस प्राकृतिक जलकुंड को देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते हैं. इस स्थल का उन्नयन पर्यटन स्थल के रूप में किया जा रहा है.
रायगढ़ शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर खरसिया ब्लाक स्थित राम झरना एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. यहां घने जंगल के बीच एक प्राकृतिक जलकुंड है जो लगातार बह रहा है. लगभग डेढ़ किलोमीटर के दायरे में फैला यह जलकुंड किसी भी ऋतु में सूखता नहीं है. यह स्थल धार्मिक पर्यटन के साथ ही पिकनिक स्पाट के रूप में भी प्रसिद्ध है.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने अपने 14 वर्षों के वनवास में से करीब दस साल का समय दंडकारण्य या छत्तीसगढ़ में ही बिताया था. यहां पग-पग पर उनके पदचिन्ह हैं. राम झरना भी ऐसा ही एक स्थल है. माना जाता है कि प्रभु श्रीराम ने तीर से धरती को भेद कर पाताल गंगा का आह्वान किया था. यह पानी एक कुंड से निलकर झरना बनाता हुआ एक प्राकृतिक कुंड में एकत्र होता है.