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बच्चों ने साकार किया डॉ द्विवेदी का सपना, आत्मकथा का हुआ विमोचन

Nov 20, 2022
Autobiograpy of Dr MS Dwivedi released

भिलाई. वरिष्ठ कांग्रेसी नेता, समाजसेवी, शिक्षाविद एवं स्वामी विवेकानंद कुष्ठ मुक्त आश्रम के संस्थापक डॉ मिथिलाशरण द्विवेदी की आत्मकथा का आज विमोचन हो गया. उनकी इस इच्छा को उनके बच्चों अशोक, अरुण, अर्चना और आराधना ने पूरा किया. 86 वर्षीय डॉ द्विवेदी इस अवसर पर ऊर्जा से भरपूर नजर आए. अंचल के लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार, राजनेता, भिलाई इस्पात संयंत्र के अधिकारी एवं अनन्य सहयोगी इस मौके पर मंचासीन थे. कार्यक्रम में उनकी धर्मपत्नी, बहुएं, दामाद, नाती-पोते एवं पड़पोता सहित भरे पूरे परिवार ने शिरकत की.
डॉ एमएस द्विवेदी ने इस अवसर पर कहा कि ईश्वर ने जीवन में सबकुछ दिया. संघर्ष दिया तो उपलब्धियां भी दीं. महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरणा लेकर उन्होंने कुष्ठमुक्त जनों की सेवा का बीड़ा उठाया. राजनीति में आने का अवसर मिला तो उस जिम्मेदारी को भी भरपूर ईमानदारी से निभाने की कोशिश की. उन्होंने कि आज मंच पर प्रो. डॉ डीएन शर्माजी की कमी खल रही है जो अस्वस्थ होने के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए. डॉ शर्मा उनकी यात्रा के करीबी साक्षी रहे हैं. कार्यक्षेत्र से लेकर आत्मकथा लेखन तक में भी उनकी बड़ी भूमिका रही है.


इससे पहले भिलाई नगर विधायक देवेन्द्र यादव ने कहा कि वरिष्ठ जनों के जीवन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है. उन्होंने अब तक डाक्टर साहब को दूर से देखा है. पुस्तक से उन्हें करीब से जानने का मौका मिलेगा. वे कोशिश करेंगे कि डॉक्टर साहब के जीवन मूल्यों को आत्मसात कर सकें.
भिलाई इस्पात संयंत्र से अवकाश प्राप्त अधिकारी बीएमके बाजपेयी ने कहा कि विदेशों में आत्मकथा लिखने वालों की अच्छी खासी संख्या होती है. लोग उनकी जीवनी से प्रेरणा लेते हैं. उनके अनुभवों का लाभ लेते हैं. यदि सबकुछ स्वयं करके देखना पड़े तो जीवन बार-बार लौटकर स्टार्टिंग पाइंट पर आ जाएगा.
वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ हरिनारायण दुबे ने इस अवसर पर डॉक्टर साहब से अपने आत्मीय संबंधों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि संघर्षं के बावजूद उन्होंने अपने जीवन मूल्यों को कभी नहीं छोड़ा. उनकी आत्मकथा नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करेगी.


अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे बीडी कुरैशी ने कहा पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि वे सद्भावना की मिसाल थे. राजनीति में आने वाले नवयुवक उनके जीवन से प्रेरणा ले सकते हैं.
भिलाई की प्रथम महापौर नीता लोधी ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि डॉक्टर साहब के आशीर्वाद से अनेक लोग राजनीति में आए. वे स्वयं को सौभाग्यशाली मानती हैं कि ऐसे नेतृत्व का उन्हें भी आशीर्वाद प्राप्त होता रहा.
पुस्तक पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने पुस्तक के विभिन्न अंशों को उद्धृत करते हुए कहा कि इस आत्मकथा में कई ऐसे रोचक किस्सें हैं जिन्हें बड़े चाव से पढ़ा जा सकता है. इसमें भूतों का डर है, कुख्यात डाकुओं का इलाज है, बिन मां के बच्चे की एक मर्मस्पर्शी कहानी है, गांव से निकल कर भिलाई तक पहुंचने और फिर यहां अपनी जमीन तैयार करने का संघर्ष भी है.
बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित वर्मा ने इस अवसर पर डाक्टर साहब से जुड़े अनेक मनोरंजक किस्से सुनाए. बीएसपी जनसम्पर्क विभाग के अपने कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि डॉक्टर साहब जैसा निर्भीक, निष्पक्ष, संवेदनशील और स्पष्टवादी पत्रकार उन्होंने दूसरा नहीं देखा. मंच पर राम मिलन दुबे भी उपस्थित थे.
आरंभ में उनकी पुत्री आराधना तिवारी ने आत्मकथा लेखन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि किस तरह कोरोना काल के बाद बुझे बुझे से रहने वाले बाबूजी आत्मकथा लेखन एवं प्रकाशन की बातें शुरू होते ही ऊर्जा से भर गए. उनकी यही ऊर्जा पूरे को चलाती है, आगे बढ़ाती है और निरंतर प्रेरित करती है. उनकी आत्मकथा को सभी लोगों तक पहुंचाना, बच्चों की ही जिम्मेदारी थी जिसे पूरा करते हुए आज पूरा परिवार खुश है.
स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ जननेता वशिष्ठ नारायण मिश्र ने डॉ द्विवेदी को एक प्रकाश स्तंभ की संज्ञा देते हुए कहा कि उनके सान्निध्य में राजनीति में काफी कुछ सीखने को मिला. उन दिनों की भिलाई की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि डॉ द्विवेदी की पुस्तक भिलाई की पहली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती है. इससे लोगों को भिलाई का इतिहास जानने का भी मौका मिलेगा.
कार्यक्रम का संचालन पुस्तक के संपादक दीपक रंजन दास ने किया. आभार प्रदर्शन पुत्र अशोक द्विवेदी ने किया. इस अवसर पर राजनीति, पत्रकारिता, समाज सेवा तथा साक्षरता जैसे विविध क्षेत्रों से आए लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.

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