भिलाई। खैरागढ़ की एक 19 वर्षीय युवती को आरोग्यम सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में दाखिल किया गया है. चिकित्सकीय लापरवाही के चलते यह युवती अपनी किडनी गंवा बैठी है. समय पर किडनी की जांच नहीं होने के कारण उसकी दोनों किडनियां सिकुड़ चुकी हैं और अब केवल किडनी प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपाय रह गया है. अन्यथा उसे आजीवन डायलिसिस पर ही रहना होगा. पिछले पांच साल से वह नेफ्रोटिक सिंड्रोम की दवा ले रही थी पर पिछले एक साल से दवा लेना बंद कर दी थी.
आरोग्यम के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ आरके साहू ने बताया कि मरीज को लंबे समय से किडनी संबंधी समस्या थी. मरीज को जब अस्पताल लाया गया तो उसके पूरे शरीर में सूजन थी. हिस्ट्री लेने पर पाया गया कि पिछले पांच साल से वह नेफ्रोटिक सिंड्रोम की दवा ले रही थी पर पिछले एक साल से दवा लेना बंद कर दी थी. जांच करने पर पाया गया कि वह नेफ्रोटिक सिंड्रोम की शिकार है. उसके यूरिन में भारी मात्रा में एल्बुमिन जा रहा था. मरीज को आईसीयू में रखकर 24 घंटे उसकी मानीटरिंग की गई. प्रतिदिन डायलिसिस कर स्थिति को नियंत्रण में लाया गया. अब उसकी हालत स्थिर है. अब उसे सप्ताह में दो बार डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है.
नेफ्रोटिक सिंड्रोम में
किडनी बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन पेशाब चला जाता है. ऐसा किडनी की संरचना में आए बदलाव के कारण होता है. इसकी जांच के लिए किडनी की बायप्सी कराई जाती है. आम तौर पर यह रोग औषधियों से ठीक हो जाता है. इलाज में पेशाब से प्रोटीन की मात्रा घटाना तथा मूत्र विसर्जन की मात्रा को बढ़ाना शामिल होता है. यदि समय रहते रोगी की जांच किसी नेफ्रोलॉजिस्ट से करवाई जाती तो उसकी किडनी को बचाया जा सकता था.