रायपुर. बच्चों में पेट दर्द की समस्या आम है. छत्तीसगढ़ में तो शिशुओं के पाट की सिंकाई करने की भी परम्परा है. पेट दर्द या अपच की स्थिति में तमाम घरेलू नुस्खे आजमाए जाते हैं. नाभि में हींग डालने से लेकर पेट की मालिश करने, यहां तक कि हंसिये से गोदे जाने का भी चलन राज्य के विभिन्न भागों में है. पर यह खतरनाक हो सकता है. केस बिगड़ने पर सर्जरी की नौबत भी आ सकती है. यह कहना है एनआईआरआईए के छत्तीसगढ़ अध्यक्ष डॉ अश्फाक अहमद उस्मान का.
डॉ उस्मान यहां आयोजित रेडियोलॉजी की नेशनल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे. कार्यक्रम में बच्चों से जुड़ी बीमारियों और उसकी जांच पर चर्चा की गई. एक्सपर्ट्स ने बताया कि लोगों में जागरुकता की कमी के चलते कभी-कभी बीमारी और परेशानी बढ़ जाती है. बच्चों के पेट दर्द की समस्या एक आम परेशानी है. बहुत से लोग ऐसे में पेट की मालिश करवा देते हैं. पिछले कई सालों से शहरों और गांवों में यह परिपाटी चली जा रही है. मालिश की वजह से बच्चे की पेट का मामूली अपेंडिक्स बड़ा रूप ले लेता है. सर्जरी तक की नौबत आ जाती है. रेडियोलॉजी में ऐसे कई टेस्ट और तकनीक मौजूद है जिससे लोग सही इलाज हासिल कर सकें.
उन्होंने बताया कि डाक्टर समस्या का पता लगाने के लिए एक्स-रे, अल्ट्रा सोनोग्राफी, सिटी स्कैन, पीईटी, एमआरआई, आदि टेस्ट की मदद लेते हैं. रोग के अनुसार ही इलाज किया जाता है, अंदाजे की कोई गुंजाइश नहीं होती. यही एविडेंस बेस्ड ट्रीटमेंट है. इस कार्यक्रम में बच्चों की ब्रेेन, हार्ट, से जुड़ी आंतरिक बीमारियों की जांच पर पीजीआई चंडीगढ़ समेत, हैदराबाद, रायपुर एम्स जैसे शहरों से देश के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट से यहां 250 एक्सपर्ट्स अपनी स्टडीज शेयर कर रहे हैं. ताकि छत्तीसगढ़ में भी रेडियोलॉजी के क्षेत्र में बेहतर काम हो सकें.