भिलाई। यूरेमिक डिस्फंक्शन का एक मरीज देर रात हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल पहुंचा. मरीज की स्थिति गंभीर था और वह नीम बेहोशी की स्थिति में था. जांच करने पर पाया गया कि उसके मस्तिष्क में रक्तस्राव हो रहा है जिसे तुरंत रोका जाना जरूरी था. आधी रात के बाद लगभग 2 बजे इमरेजेंसी में मरीज के मस्तिष्क की सर्जरी कर उसे बचा लिया गया. यह मरीज किसी अन्य अस्पताल में पिछले लगभग छह माह से डायलिसिस पर था.
हाइटेक की किडनी रोग एवं डायलिसिस सलाहकार डॉ सुमन राव ने बताया कि 11 अक्टूबर को धमधा निवासी 32 वर्षीय कमलेश को रात को जब अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत बहुत नाजुक थी. उसका रक्तचाप 200 से ऊपर तक बढ़ा हुआ था. वह हाइपरटेंशन और किडनी फेल्योर का पुराना मरीज था. बीपी लगातार अधिक रहने के कारण उसके मस्तिष्क में नस फूट गई थी और रक्तस्राव हो रहा था. मरीज को स्टेबल करने के बाद रात 2 बजे न्यूरो सर्जन डॉ दीपक बंसल ने उसकी सर्जरी कर दी. आईसीयू में ही डायलिसिस की व्यवस्था की गई.
डॉ सुमन राव ने बताया कि डायलिसिस पर चल रहे मरीजों के रक्त में विषैले तत्वों की अधिकता होने पर यह यूरेमिक डिस्फंक्शन जैसी स्थिति उत्पन्न होती है. इसका एक कारण यह भी है कि रोगी बिना चिकित्सक की सलाह के एस्पिरिन, आईबूप्रोफेन, आदि दर्द निवारक औषधियां लेता रहता है जिसमें स्टेरॉड भी शामिल हो सकते है. इसकी वजह से मरीज का बीपी बढ़ जाता है. किडनी फेल्यर के मरीजों में बीपी को नियंत्रण में रखना होता है.
उन्होंने बताया कि कमलेश को स्ट्रिक्ट डायट पर रखकर उसकी मानीटरिंग की गई और बीपी को कंट्रोल में लाया गया. सर्जरी से भी मरीज की रिकवरी अच्छी रही. मरीज अब स्वयं भोजन करने, चलने फिरने और शौचालय जाने में समर्थ हो गया है. फिलहाल उसे चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है और कुछ ही दिनों में उसे छुट्टी दे दी जाएगी.
डॉ सुमन राव ने बताया कि रक्तचाप एवं शुगर का लगातार बढ़ा रहना किडनी, मस्तिष्क, हृदय एवं आंखों के साथ ही त्वचा के लिए भी खतरनाक होता है. किडनी के मरीजों को सांस फूलने, सिरदर्द, पेशाब की मात्रा में कमी, रक्ताल्पता, खुजली और उलटी जैसे लक्षणों को गंभीरता से लेना चाहिए. बिना चिकित्सकीय सलाह के उन्हें कोई दवा नहीं लेनी चाहिए.