रायपुर. एचआईवी नियंत्रण कार्यक्रमों का कोई खास असर नहीं पड़ा है. जानकारी होने के बावजूद लोग मौके पर चौका मार बैठते हैं और एचआईवी बटोर लाते हैं. बिना जांच किए मरीजों को एचआईवी संक्रमिक रक्त चढ़ाने के मामले भी छत्तीसगढ़ में सामने आते रहे हैं. फिलहाल राज्य में 30 हजार से अधिक एचआईवी संक्रमित हैं जिनमें से आधे एक्टिव केस हैं. एक दिसम्बर एड्स दिवस के उपलक्ष्य में पेश है रिपोर्ट.
कोरोना काल (COVID-19) के दौरान भी जब कई मरीजों के ब्लड सैंपल लिए गए तब कई जिलों में एचआईवी पॉजिटिव मरीज सामने आये. छत्तीसगढ़ हर साल एड्स की जागरूकता पर लाखों खर्च करता है लेकिन एचआईवी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. खासकर शहरी जिलों में एचआईवी के मरीजों की संख्या बढ़ी है जिनमें संक्रमण के शिकार सबसे ज्यादा युवा हो रहे हैं.
रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में सर्वाधिक मरीज –
जिला – सैंपल जांच/मरीज (2007 से 2021 तक)
रायपुर – 8,22,574/10,590
बिलासपुर – 7,16,172/6,611
दुर्ग – 5,70,764/5,800
राजनांदगांव – 2,31,166/2,340
बस्तर – 2,32,406/2,342
इसी साल फरवरी में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना काल के दौरान भी 2021 के अंतिम महीनों में 1160 मरीज प्रदेश भर में सामने आये, जबकि इस दौरान सैंपल जांच में कमी आयी थी. सबसे ज्यादा 257 मरीज रायपुर जिले में मिले थे. राजधानी में 10 हजार से भी ज्यादा एचआईवी संक्रमित हैं. छत्तीसगढ़ के कुल 30 हजार एचआईवी संक्रमितों में से लगभग 15 हजार एक्टिव केस हैं जो लगातार एआरटी सेंटर से दवा ले रहे हैं.
42 NGO के माध्यम से प्रतिवर्ष एड्स जागरूकता और सर्वे पर 30 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च किये जा रहे हैं पर इसका कोई सकारात्मक परिणाम आना अभी बाकी है. राज्य में हर हफ्ते कम से कम 2 एड्स पीड़ितों की मौत हो जाती है जबकि कम से कम 2 नए मामले सामने आते हैं.
राज्य एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की मानें तो करीब 42 एनजीओ को एचआइवी नियंत्रण के लिए जागरूकता लाने, उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों की स्क्रीनिंग, इलाज के लिए अस्पतालों तक लाने, दवाइयां बांटने समेत कई जिम्मेदारियां दी गई हैं. करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. मणिपुर में किये गये एक सर्वे के अनुसार एचआईवी संक्रमण के केवल 7 फीसदी मामलों में बच्चों को यह संक्रमण माता-पिता से मिलता है. 15 प्रतिशित लोग संक्रमित सुई या सर्जिकल उपकरणों के कारण इसका शिकार हो जाते हैं. इस तरह से देखें तो असुरक्षित यौन संबंंध ही इसका सबसे बड़ा कारण है.
राज्य में एचआइवी की जांच, परामर्श व दवा वितरण के लिए 147 आइसीटीसी (एकीकृत परामर्श एवं जांच केंद्र) संचालित हो रहे हैं, लेकिन आंबेडकर अस्पताल को छोड़ दें तो कहीं भी पर्याप्त स्टाफ नहीं है. सुरक्षा क्लीनिकों में जांच किट और दवाइयों की कमी है.
7000 से अधिक लोगों की मौत
राज्य में वर्ष 2007 से अब तक 7198 से अधिक एचआइवी पीड़ितों की मौत हुई है. वहीं प्रदेश में 37,547 एचआइवी मरीज हैं. इसमें 25 से 49 आयु वर्ग के लोग शामिल हैं. करीब 60 फीसद पुरुष व 40 फीसद महिलाएं शामिल हैं.
इसलिए बढ़ रहे मरीज – एचआइवी के फैलाव के प्रमुख कारकों में असुरक्षित यौन संबंध, संक्रमित खून चढ़ाने, संक्रमित माता से बच्चे में आ सकता है. इसमें से भी सबसे ज्यादा मामले असुरक्षित यौन संबंधों के कारण ही सामने आते हैं.
बीमारी के लक्षण – एचआइवी होने पर बुखार, पसीना आना, ठंड लगना, थकान, भूख कम लगना, वजन घटना, उल्टी आना, गले में खराश रहना, दस्त होना, खांसी होना, सांस लेने में समस्या, शरीर पर चकत्ते होना, स्किन की समस्या आदि आ सकती है.
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