भिलाई. कालजयी पार्श्व गायक मो. रफी साहब को उनके 99वें जन्मदिवस पर भिलाई के रफी फैन्स ने स्वरांजलि दी. मेटर्जिकल म्यूजिक मेकर्स के संस्थापक ज्ञान चतुर्वेदी की अगुवाई में आयोजित इस कार्यक्रम में एक से बढ़कर एक रफी फैन शामिल हुए. संगीत प्रेमी भागवत टावरी की मेजबानी में आयोजित इस कार्यक्रम में देश विदेश में जाकर बस गए भिलायन्स ने अपनी भागीदारी दी. इस अवसर पर रफी फैन्स ने उनके जीवन से जुड़े अनेक संस्मरणों एवं प्रसंगों को भी याद किया.
इस सुरमयी महफिल में ज्ञान चतुर्वेदी के अलावा राजवीर सरन दास, राकेश झा, संदीप घुले, सतीश जैन, हरिन्दर सिद्धू, डॉ शशिभूषण साहू, भागवत टावरी, दीपक रंजन दास ने रफी साहब से गीतों को अपनी आवाज दी. भागवत टावरी ने ‘आप के हसीन रुख पे आज नया नूर है’, ‘तुम कमसिन हो नादान हो’ पेश किया. संदीप घुले ने ‘मुझे दर्दे दिल का पता न था’, ‘मेरे महबूब तुझे मेरी मुहब्बत की कसम’ की खूबसूरत प्रस्तुति दी.
राजवीर सरन दास ने ‘ये चांद सा रौशन चेहरा’ और ‘पुकारता चला हूं मैं..’ को खूबसूरत अंदाज के साथ प्रस्तुत किया. ‘मेरी मोहब्बत जवां रहेगी’ और ‘न झटको जुल्फ से पानी..’ को अपनी पुरकशिश आवाज में ज्ञान चतुर्वेदी ने प्रस्तुत किया. हरिन्दर सिद्धू ने ‘सुहानी रात ढल चुकी’, सतीश जैन ने ‘मैं कहीं कवि न बन जाऊं’ और ‘कई सदियों से, कई सदियों से’ की शानदार प्रस्तुति दी. राकेश झा ने ‘है दुनिया उसी की, जमाना उसी का’ की सुन्दर प्रस्तुति दी. डॉ शशिभूषण साहू ने ‘तुम मुझे यूं भुला न पाओगे’ और ‘नफरत की दुनिया को छोड़ कर प्यार की दुनिया में’ तथा दीपक रंजन दास ने ‘अकेले हैं चले आओ..’ और ‘आज मौसम है बड़ा बेईमान’ की प्रस्तुति दी.
ज्ञान चतुर्वेदी ने ‘ओ दुनिया के रखवाले, सुन दर्द भरे मेरे नाले’ को अपनी पुरकशिश आवाज में हूबहू तार सप्तक में प्रस्तुत कर इस महफिल को मंजिल तक पहुंचा दिया. इस बीच राजवीर सरन दास ने रफी साहब से जुड़े अनेक जाने-अनजाने प्रसंग सुनाए. रफी साहब को कई गीत समर्पित कर चुके राजबीर रफी साहब के मुम्बई स्थित निवास का भी फेरा लगा चुके हैं. विभिन्न गीतों के रिकार्डिंग और दृश्यों से जुड़े प्रसंगों को भी उन्हें सबके साथ साझा किया. ज्ञान चतुर्वेदी ने बताया कि रफी साहब ने अपनी अंतिम सार्वजनिक प्रस्तुति 26 अप्रैल 1980 को दल्लीराजहरा में दी थी जिसे लाइव सुनने क सौभाग्य उन्हें मिला था. रफी साहब के जन्मदिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम एक यादगार शाम बन गई. प्रतिभागियों ने दीपक रंजन दास द्वारा तैयार की गई रफी साहब के जीवंत पोर्ट्रेट को भी सराहा तथा इसके साथ तस्वीरें भी खिंचवाई.