कवर्धा. लद्दाख का मैग्नेटिक हिल पूरी दुनिया में मशहूर है. छत्तीसगढ़ के मैनपाट में भी एक स्थान है जहां पानी ऊपर की तरफ बहता है, गाड़ी को न्यूट्रल करके छोड़ दो तो वह ऊपर की तरफ लुढ़कने लगती है. कुछ ऐसा ही अनुभव कवर्धा जिले की एक पहाड़ी सड़क पर भी होता है. हालांकि वैज्ञानिक इसे आप्टिकल इल्यूशन का मामला मानते हैं. जो भी हो, पर्यटकों के लिए यह एक अतिरिक्त आकर्षण बन गया है. लोग यहां आते हैं, गाड़ी को न्यूट्रल कर देते हैं और उसके अपने आप ऊपर तरीफ सरकने का आनंद लेते हैं.
कवर्धा जिला मैकल पहाड़ शृंखला से घिरा हुआ है. इन्हीं के बीच पंडरिया ब्लॉक का देवानपटपर गांव पहाड़ी पर स्थित है. करीब 3 किलोमीटर तक की चढ़ाई के बाद ये हिस्सा आता है. इस हिस्से तक पहुंचने के लिए एक संकरी सड़क है जो 40 प्रतिशत तक ठीक-ठाक है. सड़क से लगे पैच में ये अनोखी घटना होती है. मीडिया ने पड़ताल की तो उसे भी रोमांचक अनुभव हुआ. ड्राइवर गाड़ी को न्यूट्रल में छोड़कर उतर गया तो वह ऊंचाईकी तरफ अपने आप बढ़ने लगी. रफ्तार बढ़ी तो ड्राइवर कूद कर गाड़ी में सवार हुआ और ब्रेक लगाकर गाड़ी को रोका.
दैनिक भास्कर ने खबर दी है कि देवान पटपर गांव में बैगा आदिवासी रहते हैं. ये इसे दैवीय शक्ति मानते हैं. स्थानीय निवासी धर्मराज वर्मा बताते हैं कि करीब 5 साल पहले एक शख्स यहां अपनी कार से पहुंचा था. कार रोकर वो गाड़ी से उतरा और उसने नोटिस किया कि उसकी गाड़ी खुद ब खुद ऊपर की ओर जा रही है. इसके बाद ये आस-पास फैल गई.
रायपुर के भू-वैज्ञानिक निनाद बोधनकर ने कार के ऊपर जाने वाले विजुअल्स का मुआयना किया. उन्होंने बताया कि चूंकि आस-पास पहाड़ भी हैं तो यहां के ले-आउट में एक ऑप्टिकल इल्यूजन (दृष्टिभ्रम) होता है. दरअसल, जो हिस्सा चढ़ाई की तरह लगता है वो असल में ढलान है, इसलिए यहां हमें लगता है कि वो ऊपर जा रही है.
लद्दाख और मैनपाट की बात करें तो यहां चुम्बकीय शक्ति के कारण यह करिश्मा होता है. लद्दाख समुद्रतल से 14000 फीट की ऊंचाई पर है जहां गुरुत्कावकर्षण बल कम है. आसपास की पहाड़ियों की चुम्बकीय शक्ति यहां गुरुत्वाकर्षण को माइनस कर देती हैं. कुछ ऐसा ही छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग स्थित मैनपाट में भी होता है जहां पानी भी ऊपर की तरफ बहता है. देश में इस तरह के कुल पांच स्थान है जहां चुम्बकीय बल गुरुत्वाकर्षण बल से अधिक हो जाता है. दुनिया भर में इस तरह के 64 स्थानों का अब तक पता लगा है.