रायपुर. रेडियो मिर्ची कहां तक पहुंचा पता नहीं पर सरगुजा की मिर्ची ने श्रीलंका और दुबई के लोगों की सब्जी में तड़का जरूर लगा दिया है. इस साल सरगुजा संभाग से लगभग 100 ट्रक मिर्ची का निर्यात किया गया है. यहां की मिर्ची की सर्वाधिक मांग श्रीलंका और दुबई जैसे पड़ोसी मुल्कों में है. संभाग के पांच जिलों में करीब 15 हजार हेक्टेयर में हर साल जुलाई से लेकर अक्टूबर तक मिर्ची की खेती की जाती है. यहां की जलवायु मिर्च की खेती के लिए बेहतर है.
बारिश में पठारी इलाकों के किसान मिर्च की खेती करते हैं. इन खेतों में पानी नहीं रुकता है और मिर्च की खेती अच्छी होती है. सरगुजा संभाग के जशपुर, बलरामपुर के कुसमी इलाके में मिर्च की खेती सबसे अधिक होती है. यहां के करीब 10 हजार किसान मिर्ची की खेती करते हैं. वहीं मिर्ची की इतनी डिमांड होती है कि फसल मंडी पहुंचने से पहले ही किसानों को उनका पेमेंट मिल जाता है.
व्यापारी किसानों के खेत की कुल उपज का सौदा कर लेते हैं. यहां से ट्रकों में लोडकर नागपुर भेजते हैं. वहां से कंटेनर में मुुंबई भेजा जाता है और फिर दुबई जाता है. इस साल मिर्ची औसतन दो हजार रुपए प्रति क्विंटल में बिकी. विदेशों में इसकी कीमत 100 रुपए किलो तक है.
पोर्टल bhaskar.com ने खबर दी है कि बलरामपुर जिले के नटवर नगर के मकबूल ने बताया कि उन्होंने 10 एकड़ में मिर्च की खेती की थी. उन्होंने 30 गाड़ी मिर्च बेची. एक गाड़ी में 22 क्विंटल मिर्च आती थी. शुरुआत में उन्होंने 17 सौ रुपए क्विंटल में बेची, लेकिन बाद के 25 से 37 सौ क्विंटल बिकी. उन्होंने करीब 15 लाख से अधिक का मिर्च बेचा. इस पर एकड़ में 50 हजार लागत और तुड़ाई में 26 हजार रुपए खर्च हुए. उन्होंने प्रति एकड़ करीब 80 हजार रुपए का फायदा हुआ.
अकेले कुसमी इलाके के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में शामिल 30 पंचायत के 150 किसानों ने इस साल 750 एकड़ में मिर्च की खेती की और 11 करोड़ रुपए की मिर्च बेची. इनमें से कुछ किसानों ने तो 15 से 20 लाख रुपए तक की मिर्च बेची, वहीं इससे उन्हें प्रति एकड़ में एक लाख तक की आय हुई, क्योंकि इस साल मिर्च 17 से लेकर 37 रुपए तक बिकी. इसे किसान औसत 2000 रुपए क्विंटल बता रहे हैं. किसानों ने बताया कि दो साल तक कोरोना के कारण उन्हें सही रेट नहीं मिला, जिसकी भरपाई हो गई.