भिलाई। बदलते मौसम में सर्दी खांसी का होना वैसे तो एक सामान्य सी बात है जो अपने आप भी दो-चार दिन में ठीक हो जाता है. पर यदि सर्दी-खांसी 10 दिन से भी ज्यादा चले तो इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए. यह H3N2 इंफ्लूएंजा वायरस का संक्रमण हो सकता है. यह एक तेजी से फैलने वाला संक्रमण है जिसमें घातक काम्प्लीकेशन्स हो सकते हैं. इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका बच्चों को फ्लू का टीका लगवा देना है. बड़े भी इसका उपयोग कर सकते हैं. इस वायरस सबटाइप से अब तक देश में छह से अधिक मौतें हो चुकी हैं.
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ राजेश सिंघल ने बताया कि हालांकि फ्लू का टीका काफी समय से बाजार में हैं पर लोगों में अभी भी इसे लेकर कोई खास जागरूकता नहीं है. इस टीके को साल में एक बार लगवाना होता है. फ्लू के टीके को प्रतिवर्ष दो बार अपडेट किया जाता है जिससे यह नए-नए वायरस से सुरक्षा देने में सक्षम होता है. उन्होंने बताया कि वे स्वयं अपने पूरे परिवार को प्रतिवर्ष फ्लू का टीका लगवाते हैं.
फ्लू का टीका सबसे पहले 1930 के दशक में आया था. सेन्टर ऑफ डिसीज कंट्रोल (CDC) छह माह से ऊपर के बच्चों को हर साल यह टीका लगवाने की सलाह देता है. इस टीके के मामूली साइड इफेक्ट्स होते हैं जो एक दो दिन में चले जाते हैं. इनमें सिरदर्द, बुखार, चक्कर, उलटी, दस्त जैसी तकलीफें हो सकती हैं पर यह स्वयं ही ठीक भी हो जाती हैं. यह टीका बच्चों को जानलेवा वायरस संक्रमण से भी बचाती है.
डॉ सिंघल ने बताया कि मौसम के तेजी से बदलने के कारण सर्दी खांसी के मरीजों की संख्या में एकाएक उछाल आया है. यह H3N2 वायरस की वजह से भी हो सकता है. कर्नाटक, पंजाब एवं हरियाणा से अब तक छह बुजुर्गों की इस वायरस सबटाइप से मृत्यु की खबर है. उन्होंने कहा कि परिवार या दफ्तर में किसी को भी फ्लू होने पर कोरोना काल की सभी सावधानियों का पालन करें. मास्क का उपयोग करें, हाथों को धोते रहें और सर्दी खांसी वालों से थोड़ी दूरी बनाकर रहें.