• Tue. Apr 23rd, 2024

Sunday Campus

Health & Education Together Build a Nation

लाख टके का सवाल – यूपी में बाबा तो छत्तीसगढ़ में का-बा?

Mar 9, 2023
Threat to congress in CG

यूपी के बाबा शोहरत की बुलंदियों पर हैं. एक बाबा अपने छत्तीसगढ़ में भी हैं. बाबा राज्य के एक महत्वपूर्ण मंत्रालय के मुखिया हैं. पहले उनके पास दो महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी थी. एक उन्होंने छोड़ दिया और दूसरे से वे खुश नहीं हैं. मीडिया ने उन्हें खिलौना बना रखा है. जब भी एक आध प्रदेश स्तरीय खबर की मांग बनती है, बाबा से एक ही सवाल पूछते हैं. सवाल क्या पूछते हैं, उनकी दुखती रग पर हाथ रख देते हैं. बाबा की बड़ी इच्छा थी कि वे राज्य का मुख्यमंत्री बनें. पर ऐसा हुआ नहीं. पार्टी ने एक ठेठ किसान को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया. मीडिया बार-बार बाबा से यही पूछती है कि वे मुख्यमंत्री कब बन रहे हैं. पहले तो ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्रित्व का ही लोग मजा लेते रहे. यह सवाल इतनी बार पूछा गया कि वह एवरेस्ट की चोटी तक जाकर लौट आया. अब सवाल बदल गया है. मीडिया पूछ रही है कि क्या उन्हें राज्य का अगला मुख्यमंत्री बनाया जाएगा? जवाब देते-देते बाबा भी तंग आ चुके हैं. अब उनके जवाबों में थकान और निराशा झलकने लगी है. हाल ही में जब पत्रकारों ने फिर उनसे यही सवाल दोहराया तो उन्होंने कह दिया कि लगता है पार्टी का हाथ उनके सिर या कंधे पर जिस तरह से होना चाहिए था, अब नहीं है. पर साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि भाजपा से उनका कोई वैचारिक मेल नहीं है. वैसे भाजपा के नेताओं से उनके मधुर संबंध हैं. भाजपा से जुड़े लोगों के यहां से उनका रोटी-बेटी का रिश्ता भी है पर वह व्यक्तिगत है. ठीक ही तो कहा है बाबा ने. एक ही परिवार के अलग-अलग लोग दोनों या तीनों पार्टियों में हो सकते हैं. एक दूसरे के खिलाफ चुनाव भी लड़ सकते हैं. ग्वालियर का सिंधिया परिवार और छत्तीसगढ़ का बघेल परिवार इसका बेहतरीन उदाहरण माने जाते हैं. पर बाबा का बार-बार यह कहना कि वे असंतुष्ट हैं, अजीब सा लगता है. तो क्या बाबा ने रामायण और महाभारत से कोई सीख नहीं ली? उनकी मानसिकता उस जिद्दी बच्चे की तरह है जो अपने भाई से उसका खिलौना छीनना चाहता है. पर जब वह इसमें असफल रहता है तो उसे तोड़ देता है. छत्तीसगढ़ में भले ही फिलहाल उनके राजनीतिक परिवार की सत्ता हो पर यह कोई स्थायी विरासत नहीं है. जरा सी चूक या फूट उसे सत्ता से बेदखल कर सकती है. यह तो छिछोरे प्रेमियों वाली हरकत है कि ‘तू अगर मेरी नहीं तो किसी और की भी नहीं’. प्रेम अगर सच्चा है तो उसमें स्पेस होना जरूरी है. प्रेमिका का घर अच्छे से बस जाए, उसका जीवन सुखमय हो, ऐसी कामना दिल में होनी चाहिए. वरना क्या रखा है राजनीति में – विभीषण को पूरा कुनबा गंवाकर सोने की लंका की राख मिली तो महाभारत के बाद परिवार का समूल नाश हो गया. हाथ आया बाबाजी का ठुल्लू!

Leave a Reply