भिलाई। 84 साल के इस बुजुर्ग को जब हाइटेक लाया गया तो उनका एक हाथ कंधे से नीचे तक नीला पड़ चुका था. वह असहनीय दर्द से कराह रहे थे. उनके एक हाथ में रक्तसंचार पूरी तरह ठप पड़ चुका था. रक्तसंचार को तत्काल शुरू करना जरूरी था अन्यथा हाथ काटने की नौबत आ सकती थी. मरीज की तत्काल एंजियोग्राफी की गई और सर्जरी कर रक्त के थक्के को निकाल दिया गया. लगभग एक महीना अस्पताल में रहने के बाद बुजुर्ग बेहद खुश होकर घर लौट गए.
सीटीवीएस सर्जन एवं हाईटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ रंजन सेनगुप्ता ने बताया कि 84 वर्षीय श्री गोयल ने बताया कि सुबह जब वे सोकर उठे तब तकलीफ शुरू हुई. पहले तो हाथ में केवल दर्द था फिर धीरे-धीरे हाथ ने काम करना बंद कर दिया और उसकी त्वचा का रंग स्याह पड़ने लगा. जब उन्हें हाइटेक अस्पताल पहुंचाया गया तब तक हाथ लगभग नीला पड़ चुका था. मरीज की एंजियोग्राफी करने पर पता चला कि उनकी भुजा की मुख्य नस में एक थक्का फंस गया है. रक्तसंचार अवरुद्ध होने के कारण गैंगरीन जैसी स्थिति बन गई थी.
गैंग्रीन एक घातक स्थिति है जो विकसित होती है जब एक बड़े ऊतक क्षेत्र में रक्त प्रवाह बाधित होता है, जिससे ऊतक खराब हो जाते हैं और मर जाते हैं. गैंग्रीन आमतौर पर प्रभावित त्वचा को हरा-काला कर देता है और आंतरिक अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. अतः मरीज की तत्काल सर्जरी की जरूरत थी. सीटीवीएस सर्जन की उपलब्धता से यह तत्काल संभव हो गया और डाक्टरों की टीम हाथ को बचाने में कामयाब रही.
थक्का निकाले जाने के साथ ही हाथ में रक्त संचार प्रारंभ हो गया. लगभग एक हफ्ते में हाथ का स्याहपन जाता रहा. उंगलियों ने भी काम करना शुरू कर दिया. इस बीच मरीज को दिल का दौरा भी पड़ चुका था. मरीज की दो धमनियों में आंशिक ब्लाकेज है. मरीज की आयु और स्थिति को देखते हुए औषधियों से ही इलाज किया गया. पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.