भिलाई का कला-साहित्य जगत हमेशा सक्रिय रहा है. जात्रा और थिएटर के इस शहर ने कई पड़ाव देखे हैं. इप्टा, इम्पा, ट्रिपल-एम की सक्रियता तो थी ही, साहित्य के क्षेत्र में भी शहर ने अपनी अलग पहचान बना रखी है. जब अनुराग बासु मुम्बई फिल्म जगत में अपने झंडे गाड़ते हैं तो समूचे भिलाई का सीना फख्र से चौड़ा हो जाता है. नाटक और साहित्य में प्रवाह के विपरीत तैरने का साहस होता है. वह बड़ी-से-बड़ी बात सहजता से कह जाता है. समाज को दिशा देने, उसके भटकाव को रोकने में भी इसकी अहम भूमिका होती है.
पिछले कुछ दशकों में कई समूह बने और बिगड़े. लोग जुड़े और फिर बिखर गए. इनका साथ होना बहुत जरूरी था. इस दुरूह कार्य का जिम्मा भिलाई के दूसरी पीढ़ी के रंगकर्मी शक्तिपद चक्रवर्ती ने उठाया है. बरूण स्मृति सम्मान समारोह-2023 को इन्हीं दो बातों के लिए खास याद किया जाएगा. पहला यह कि अपने पिता की स्मृति को जीवित रखने के लिए एक बेटी किस हद तक जा सकती है. दूसरा यह कि कला एवं साहित्य से जुड़े लोगों को एकजुट करने की एक छोटी सी कोशिश कितनी कारगर साबित हो सकती है.
सोनाली सेन पिछले कई वर्षों से अपने पिता बरूण सेन की स्मृति में कालीबाड़ी सेक्टर-6 में आयोजन करती आ रही हैं. कर्मजीवन की व्यस्तता के बावजूद वे अकेली ही पूरे शहर में लोगों के पास पहुंचती रही हैं और उन्हें इस आयोजन में सम्मिलित करने की कोशिश करती हैं. गायन के प्रति उनके समर्पण का भी यह एक अनुपम उदाहरण है. साथ ही मातृभाषा से प्रेम, कविगुरू रवि ठाकुर (रविन्द्रनाथ टैगोर) से उनके लगाव का भी यह एक जीता जागता नमूना है. इस बार उनके आयोजन की गरिमा को चार चांद लग गए. अब उनके साथ भिलाई का पूरा रंग संसार खड़ा हो गया है.
इसका श्रेय वरिष्ठ रंगकर्मी शक्तिपद चक्रवर्ती को भी जाता है. वे भिलाई के रंगकर्म के इतिहास की दूसरी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े लोगों को दोबारा जोड़ने का भगीरथी प्रयास प्रारंभ किया है. वे अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. इसके सुखद नतीजे आने लगे हैं. अब कला, साहित्य और संस्कृति से जुड़े लोगों तक छोटी से छोटी सूचना को तत्काल पहुंचाने का एक मंच तैयार हो गया है. इस मंच पर लोग सूचनाएं साझा कर रहे हैं, रचनात्मक सुझाव दे रहे हैं और एक दूसरे की हौसलाअफजाई भी कर रहे हैं. इस समूह के गठन के बाद हुए लगभग सभी आयोजन बेहद सफल रहे हैं. इसमें प्रवचन पंडालों और लाइव-शो की तरह लाखों की भीड़ भले ही न जुटी हो पर जितने भी लोग एकत्र हुए हैं, उनका एक साथ होना ही काफी है. ये असाध्य को साध्य बनाने की क्षमता रखते हैं.
“बरुण स्मृति सम्मान समारोह” के इस दो दिवसीय समारोह में इस बार भी संगीत कला एवं गायन का आयोजन तो हुआ ही. साथ ही कला साहित्य समूह के चार साथियों सहित अनेक कला विभूतियों का सम्मान किया गया. इसमें वरिष्ठ रंगकर्मी एवं हास्य कलाकार प्रदीप शर्मा, सूत्रधार एवं कठपुतली संस्था के संचालक वरिष्ठ रंगकर्मी विभाष उपाध्याय, स्वयंसिद्धा की निदेशक डॉ सोनाली चक्रवर्ती, कला साहित्य समूह के सूत्रधार तथा वरिष्ठ रंगकर्मी शक्तिपद चक्रवर्ती, बांग्ला संगीत मंच के वरिष्ठ हस्ताक्षर विश्वजीत का सम्मान किया गया.
इस आयोजन की तस्वीरें भी समूह में तत्काल साझा हो गईं. इसके चलते वो लोग भी इस आयोजन से जुड़ पाए जो अपरिहार्य कारणवश में इस अभिनव आयोजन में सशरीर उपस्थित नहीं हो पाए थे. शहर को यह सुखद अनुभूति का रसास्वादन कराने के लिए स्थानीय रंगमंच शक्तिपद चक्रवर्ती और सोनाली सेन का सदा ऋणी रहेगा.