भिलाई। 22 वर्षीय इस युवती का गर्भ डिम्बवाहिनी में ही ठहर गया था. इसे एक्टोपिक या अस्थानिक गर्भ (ectopic pregnancy) कहते हैं. भ्रूण का आकार बढ़ने से डिम्बवाहिनी (Fallopian Tube) फट गई और रक्तस्राव होने लगा. जब युवती हाइटेक अस्पताल लाई गई तब तक उसकी हालत काफी बिगड़ चुकी थी. शरीर में केवल 4 ग्राम खून रह गया था. उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.
लैप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ नवील कुमार शर्मा ने बताया कि जांच करने पर पता चला कि उसका भ्रूण दाहिनी डिम्ब वाहिनी में स्थापित हो गई थी. दूसरे महीने में जब भ्रूण का आकार कुछ बढ़ा तो डिम्बवाहिनी फट गई. मरीज के पेट में लगभग साढ़े चार लिटर रक्त जमा हो गया था. मरीज के लिए रक्त की व्यवस्था कर उसकी सर्जरी प्लान की गई.
आपरेशन सफल रहा. दूरबीन पद्धति से ही डिम्बवाहिनी की मरम्मत कर दी गई और मृत भ्रूण को निकाल दिया गया. पेट की अच्छे से सफाई कर दी गई. इस दौरान मरीज को 4 यूनिट रक्त चढ़ाना पड़ा. मरीज के पूरी तरह स्वस्थ होने पर एक दिन बाद ही उसे छुट्टी दे दी गई. डॉ नवील शर्मा ने बताया कि यह एक चुनौतीपूर्ण केस था. समय पर अस्पताल लाए जाने के कारण ही मरीज की जान बचाना संभव हो पाया.