भिलाई। एक्यूट लिवर फेलियर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. ऐसे 50 प्रतिशत मामलों में मृत्यु की आशंका होती है. एम्स के एक रिसर्च में सामने आया है कि एक्यूट लिवर फेलियर के 30 प्रतिशत मामलों के लिए हेपेटाइटिस ए और ई जिम्मेदार होते हैं. ये दोनों ही हेपेटाइटिस के संक्रामक प्रकार हैं जिनसे बचा जा सकता है. कमजोरी, भूख न लगना, मितली आना, आंख और पेशाब में पीलापन जैसे लक्षणों को गंभीरता से लेने और तत्काल इलाज कराने की जरूरत होती है.
उक्त बातें हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने कहीं. उन्होंने बताया कि बारिश के मौसम में बुखार, मितली, उल्टी, पेट दर्द, त्वचा पर खुजली जैसे लक्षणों को लोग हल्के में ले लेते हैं. रोग बढ़ने पर कमजोरी, आंखों और पेशाब में पीलापन, मुंह से खून आना या त्वच पर धब्बे पड़ना जैसे लक्षण सामने आते हैं. मरीज कॉमा में जा सकता है. इसलिए प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते ही डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए ताकि इस गंभीर मर्ज से बचा जा सके.
उन्होंने बताया कि वायरल हेपेटाइटिस ए बच्चों में और हेपेटाइटिस ई सभी उम्र के लोगों में होता है. हेपेटाइटिस के मामले में लिवर सूज जाता है. एक लगभग 70 किलोग्राम के स्वस्थ व्यक्ति में लिवर का वजन लगभग डेढ़ किलो तक होता है. इससे ज्यादा वजन होने पर लिवर को रोगी माना जाता है. इसे फैटी लिवर कहा जाता है.
फैटी लिवर के मरीजों में हार्ट और डायबिटीज का खतरा अधिक होता है. गलत खानपान, फास्ट फूड, शराब का सेवन, सुरक्षित मानी जाने वाली सामान्य दवाओं के गलत इस्तेमाल से भी लिवर को नुकसान हो सकता है. टीबी, एंटीबायोटिक्स, एंटीपीलेप्टिक दवाओं और कीमोथेरेपी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं भी लीवर को नुकसान पहुंचाती हैं. बिना पुष्टि किये ही टीबी की दवा लेने वाले मरीजों में मृत्युदर 67 प्रतिशत तक होती है.
वायरल हेपेटाइटिस को भारत में, विशेषकर सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों में स्वास्थ्य की एक गंभीर समस्या माना जाता है. भारत की आबादी में लगभग 5 करोड़ लोग क्रोनिक हेपेटाइटिस से पीड़ित हैं. फैटी लिवर डिजीज आने वाले वर्षों में एक आम समस्या होगी. इससे हेपेटाइटिस का खतरा भी बढ़ेगा.
डॉ देवांगन ने बताया कि हेपेटाइटिस ए और ई के संक्रमण से बचने के लिए पानी को अच्छे से उबाल कर ठंडा करने के बाद उसे पीना चाहिए. ताजा और घर का बना भोजन करना चाहिए. काफी पहले कटी हुई सलाद का उपयोग नहीं करना चाहिए. हमें समझना होगा कि लीवर शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो पोषक तत्वों को प्रोसेस करने, खून को फिल्टर करने के साथ ही संक्रमण से लड़ता भी है. जब लीवर में सूजन या क्षति होती है, तो यह कार्य प्रभावित होने लगते हैं. अनुपचारित हेपेटाइटिस लीवर फेल या लीवर कैंसर कारण बन सकता है.