भिलाई। भारतीय जनमानस में चरित्र की परिभाषा बेहद सीमित है. वास्तविकता यह है कि जीवन में अनुशासन, समय की पाबंदी, कानूनों के प्रति सम्मान सभी चरित्र का हिस्सा हैं. एक राष्ट्र विकसित तभी हो सकता है जब वहां के लोगों अपने चरित्र में इन सभी बातों का ध्यान रखें. यही वह अंतर है जो विकसित राष्ट्रों को विकासशील राष्ट्रों से अलग बनाता है. उक्त बातें एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन की डायरेक्टर डॉ श्रीलेखा विरुलकर ने कहीं. वे एमजे कालेज ऑफ फार्मेसी के नवप्रवेशितों को संबोधित कर रही थीं.
डॉ विरुलकर ने कहा कि वक्त की पाबंदी बेहद जरूरी है. वक्त के प्रति लापरवाही से हम अपने साथ-साथ अन्यों के वक्त का भी निरादर करते हैं. इससे टालू प्रवृत्ति घर करने लगती है. जब सड़कों पर हम यातायात के कानून तोड़ते हैं तो स्वयं अपनी, अपने परिवार की तथा सड़क पर चलने वाले और लोगों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं. अमेरिका में लोग वर्क फ्रॉम होम को भी उसी संजीदगी के साथ करते हैं जितनी दफ्तर में करनी पड़ती है.
उन्होंने कहा कि भारत में न तो टैलेंट की कमी है और न ही अधोसंरचना और सुविधाओं की, फिर भी हम अमेरिका या ब्रिटेन की बराबरी नहीं कर पाते. इसकी एक मात्र वजह यह है कि हम कैरेक्टर बिल्डिंग में उनसे पीछे रह जाते हैं. हम विलम्ब से पहुंचने में अपनी शान समझते हैं, सड़क पर एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ लगाते हैं, हर काम रिश्वत के द्वारा आसान करना चाहते हैं.
इससे पूर्व एमजे ग्रुप ऑफ एजुकेशन के सहायक निदेशक डॉ अनिल कुमार चौबे ने फ्रेशर्स को संबोधित किया. उन्होंने बच्चों को एमजे कालेज ऑफ फार्मेसी में आने की बधाई देते हुए कहा कि इस कालेज ने विश्वविद्यालय स्तर में अपना अव्वल स्थान बनाया है. इसके पीछे शिक्षकों के साथ ही विद्यार्थियों का अथक परिश्रम है. उन्होंने विद्यार्थियों को अपने सहपाठियों के साथ तालमेल बढ़ाने, परिचय का दायरा बढ़ाने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि यह व्यक्तिगत जीवन के साथ ही करियर में भी सहायक सिद्ध होता है.
समारोह को प्राचार्य राहुल सिंह, महाविद्यालय समन्वयक पंकज सिन्हा ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों की खूबसूरत प्रस्तुतियां दी गईं.