भिलाई। हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में एक घायल युवक की पेशाब नली की मरम्मत मुंह की कोशिकाओं से किया गया. युवक सड़क हादसे में घायल हो गया था जिससे उसकी पेशाब की नली चोटिल हो गई थी. ऐसे मामलों में मुंह के म्यूकोसा से ग्राफ्ट तैयार किया जाता है. यह सर्जरी यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन वैष्णव ने की.
हाइटेक के यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन वैष्णव ने बताया कि पुरुषों की यूरेथ्रा (मूत्रनली) महिलाओं की तुलना में 4-5 गुना लंबी होती है. चोट लगने से इसमें बाधा आ जाती है. इससे मूत्र प्रवाह बाधित हो जाता है. इसे यूरिनरी स्ट्रिक्चर कहते हैं. पेशाब रुकने के कारण कई तरह की समस्याएं पैदा हो जाती है. इसलिए ऐसे मामलों में सबसे पहले ब्लैडर पर प्रेशर कम करने की कोशिश की जाती है. इसके बाद चोटिल यूरेथ्रा को दुरुस्त किया जाता है. मूत्र नली बनाने के लिए मुंह के भीतर की त्वचा (बक्कल म्यूकोसा) का इस्तेमाल किया जाता है. इसे यूरेथ्रोप्लास्टी कहा जाता है.
डॉ वैष्णव ने सवाई मानसिंग अस्पताल जयपुर में यह तकनीक सीखी थी. अब तक वे यूरेथ्रोप्लास्टी के 10 से अधिक केस कर चुके हैं. दूरबीन पद्धति से 100 से अधिक पथरी और प्रोस्टेट ग्रंथि की भी सर्जरी कर चुके हैं. डॉ वैष्णव भिलाई से ही हैं जिन्होंने जगदलपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस करने के बाद बीएचयू से एमएस किया और फिर सवाई मानसिंग अस्पताल से यूरोलॉजी में एमसीएच किया. उन्होंने रायपुर एम्स में भी अपनी सेवाएं दी हैं.