चुनाव प्रबंधन से बची भाजपा की साख
भिलाई। स्थानीय निकाय चुनाव में जनता ने भाजपा को सबक सिखा दिया है। भाजपा के कर्णधारों को बात समझ में आ भी गई है किन्तु करने को ज्यादा कुछ रहा नहीं है। इसे 15 साल का एंटी इन्कमबैंसी कहें या प्रशासकीय ढीलापन का नतीजा, पर जनता के मन में आक्रोश बहुत है। जनता ने इस आक्रोश को व्यक्त भी कर दिया है। छत्तीसगढ़ में दो दलीय राजनीति है। एक के खिलाफ गुस्सा दूसरे को लाभ पहुंचाता है। वह तो भला हो भाजपा के चुनाव प्रबंधन का वरना आंकड़े बता रहे हैं, महापौर चुनाव का नतीजा भी कांग्रेस के पक्ष में 2-6 ही निकलना था। more
अंतर्कलह से कट गए वोट
कांग्रेस और भाजपा के चार-चार महापौर प्रत्याशी जीत कर आए हैं। बिलासपुर में कांग्रेस के वोट बंट गए। यहां के 60 में से 40 वार्डों में जोगी खेमे के प्रत्याशी चुनावी समीकरण बिगाड़ते रहे। अंतरकलह ने माहौल को इतना खराब किया कि भाजपा के महापौर प्रत्याशी 56 फीसदी मत प्राप्त करने में सफल हो गए। यहां वोट बंटे नहीं बल्कि कट गए। जबकि नगर पंचायतों में स्थिति ऐसी नहीं रही। यहां भाजपा को 5, कांग्रेस को 6 तथा निर्दलीयों को 4 सीटें मिलीं। भाजपा को तिफरा, सिरगिट्टी, बिल्हा, कोटा व पथरिया की पांच पालिका और पंचायतें मिलीं जबकि कांग्रेस को रतनपुर, मुंगेली, सकरी, बोदरी, पेंड्रा व लोरमी सहित छह पालिका और पंचायतें मिलीं। शेष चार पर निर्दलीयों ने कब्जा किया।
यहां कटे नहीं, बंट गए वोट
इसके विपरीत दुर्ग में वोट कटे नहीं बल्कि बंट गए। कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी को 45 हजार तो बागी प्रत्याशी को 31 हजार वोट मिले। इसका लाभ लेते हुए भाजपा प्रत्याशी 48 हजार वोट पाकर भी विजयी हो गई। यहां भाजपा प्रत्याशी को 48178 वोट मिले जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 45175 और कांग्रेस की की बागी को 31 हजार से ज्यादा वोट मिले।
पालिका-पंचायत में कांग्रेस आगे
नगर पालिका में कांग्रेस भाजपा से आगे रही। कुल 39 पालिकाओं में चुनाव हुए जिसमें से 17 कांग्रेस ने 15 भाजपा ने जीते। 7 स्थानों पर अन्यों की जीत हुई। पिछली बार कांग्रेस का 9 और भाजपा का 18 पालिकाओं पर कब्जा था। नगर पंचायत में भी कांग्रेस ने बाजी मारी। यहां भी भारी उलटफेर करते हुए कांग्रेस ने 49 नगर पंचायतों पर कब्जा किया जबकि भाजपा को 38 से संतोष करना पड़ा। पिछली बार कांग्रेस के पास 30 और भाजपा के पास 71 नगर पंचायतें थीं।