जुबान पर हिन्दी होनी चाहिए : नैय्यर

Ramesh Nayyar Rajbhashaभिलाई। बीएसपी के राजभाषा विभाग द्वारा ईडी (वक्र्स) के सभागार में ‘राजभाषा के उन्नयन में हमारी भूमिकाÓ विषय पर संकार्य क्षेत्रीय राजभाषा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (वक्र्स) श्री वाई के डेगन इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। महाप्रबंधक प्रभारी (अनुरक्षण एवं उपयोगिताएँ) श्री एस के जैन ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस अवसर पर संचालक, छग हिंदी ग्रन्थ अकादमी, रायपुर श्री रमेश नैय्यर मुख्य अतिथि वक्ता तथा उप महाप्रबंधक (सम्पर्क व प्रशासन) दिलीप नन्नौरे विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मंगलदीप प्रज्ज्वलन एवं माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ इस संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। संकार्य क्षेत्रीय इस संगोष्ठी में संयंत्र के महाप्रबंधक एवं उप महाप्रबंधकगण एवं अन्य अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। Read More
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि श्री डेगन ने कहा कि देवनागरी का प्रयोग करते हुए तकनीकी क्षेत्रों में राजभाषा हिंदी का अनुपालन करें ताकि भारत सरकार द्वारा निर्धारित शत-प्रतिशत हिंदी कार्यान्वयन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।
मुख्य अतिथि वक्ता रमेश नैय्यर ने सारगर्भित संबोधन में भाषा की ऐतिहासिकता पर प्रकाश डालते हुए मुगलों एवं अंग्रेजों के कार्यकालों में राजकाज की भाषा एवं उसकी प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने निशान में तिरंगा, विधान में संविधान तथा जुबान में हिंदी पर बल देते हुए उसकी उपादेयता को प्रतिपादित किया साथ ही भाषा प्रयोग पर आने वाले व्यवहारिक कठिनाइयों के सोदाहरण समाधान के उपाय भी बताये।
अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में श्री जैन ने कहा कि चूँकि हम ‘कÓ क्षेत्र स्थित संयंत्र में काम करते हैं इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि इसके कार्यान्वयन एवं अनुपालन को सुनिश्चित करें। विशिष्ट अतिथि दिलीप नन्नौरे ने कहा कि हिंदी के अनुपालनीय पहलुओं को आंकड़ों में नहीं बल्कि वास्तविक स्थिति को दिखलाने का प्रयास करना चाहिए।
शक्ति एवं वायु प्रवाह केन्द्र-2 द्वारा द्विभाषी रूप में प्रकाशित नया डी.एम. प्लांट विस्तारीकरण योजना की पुस्तिका का अनावरण मुख्य अतिथि द्वारा किया गया जिसका संकलन एवं संपादन सर्वश्री व्ही.एस. देवांगन, सहायक महाप्रबंधक, बी.आर. पुरे, उप प्रबंधक, एल एन शर्मा, पाली प्रभारी, वाय. व्ही.एस.एस. शर्मा सहित अन्य सदस्यों ने किया।

संगोष्ठी में उपस्थित सभी प्रतिभागियों को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा लिखित “प्रेरणात्मक विचार” पुस्तक प्रदान की गई।
कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ प्रबंधक (राजभाषा) डॉ बी एम तिवारी द्वारा किया गया।

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