नयी शिक्षा नीति विद्यार्थी केन्द्रित होनी चाहिए

prem prakash pandeyदुर्ग। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत शासन द्वारा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति विद्यार्थी केन्द्रित होनी चाहिये। ये उद्गार प्रदेश के उच्चशिक्षा, तकनीकी शिक्षा, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय ने शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये। श्री पांडेय दुर्ग विश्वविद्यालय द्वारा नई शिक्षा नीति पर केन्द्रित एक दिवसीय कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। बड़ी संख्या में उपस्थित जनप्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, भूतपूर्व एवं वर्तमान विद्याथिर्यों, प्राध्यापकों, मीडिया जगत के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए श्री पांडेय ने कहा कि कार्यशाला में हमारी उपस्थिति भावी पीढ़ी के प्रति दायित्व का बोध कराती है। Read more raksha-singhनई शिक्षा नीति का प्रत्येक शब्द भावी पीढ़ी की दशा एवं दिशा तय करेगा। ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर के प्रत्येक सुझाव को महत्व दिया जाना चाहिये। श्री पाण्डेय के विचार में साक्षरता एवं शिक्षा दोनों महत्वपूर्ण घटक हैं। भारत में प्राचीन काल से ही विश्वविद्यालयों एवं कुलपति की परंपरा रही है। वर्तमान व्यवस्था में उनका केवल स्वरूप बदल गया है। प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान एवं शिक्षक का यह दायित्व है कि वह यह सोचे कि इन विद्यार्थी के विकास हेतु क्या कर रहे हैं।
आत्मविश्वास की कमी होने पर हम अपने से पूर्व अधिकारी का अनुसरण करते हैं और अपना अस्तित्व स्थापित नहीं कर पाते। उच्चशिक्षा मंत्री ने शिक्षा को समाज की रीढ़ की हड्डी बताते हुए कहा हमें वर्तमान के साथ साथ नवाचार की तरफ भी ध्यान केन्द्रित करना होगा। उपस्थित शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में बौध्दिक एवं आत्मिक साहस का विकास करना है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दुर्ग की महापौर श्रीमती चंद्रिका चंद्राकर ने महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को प्रेरणादायी शिक्षा प्रदान करने का आव्हान किया। शिक्षक पालक समिति की महत्वपूर्ण भूमिका का भी महापौर ने जिक्र किया। उन्होंने ग्रामीण अंचलों में कम्प्यूटर आधारित शिक्षा की भी वकालत की।
दुर्ग वि.वि. के कुलपति प्रोफेसर एन.पी. दीक्षित ने अपने स्वागत भाषण में वि.वि. द्वारा आयोजित प्रथम कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों एवं शिक्षाविदों की उपस्थिति पर प्रसन्नता एवं धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्राचीन काल में लार्ड मेकाले द्वारा स्थापित शिक्षा नीति तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात डॉ. राधा कृष्णन आयोग तथा डॉ. डी.एस.कोठारी आयोग एवं 1986 की नयी शिक्षा नीति का उल्लेख किया। प्रो. दीक्षित ने युवाओं को रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम उपलब्ध कराने तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शिक्षा प्रणाली विकसित करने का आव्हान किया।
अपने विचार व्यक्त करते हुए दैनिक हितवाद के श्री यू.एस.ठोके ने कहा कि आज शिक्षा का बाजारीकरण हो गया है। वर्तमान समय में अच्छे नागरिक के लिए अच्छे नैतिक मूल्यों की आवश्यकता है। शिक्षाविद प्रो. डी.एन. शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जिससे विद्यार्थी में जीवन के संग्राम को जीतने की दक्षता उत्पन्न हो। दुर्ग विश्वविद्यालय के डॉ. विकास पंचाक्षरी ने कहा कि नीति केवल दिशा दिखाती है। उस पथ पर चलना हम सबका सामूहिक दायित्व है। नीति निर्माण एवं उसका क्रियान्वयन दोनों में सामंजस्य आवश्यक है। समाज सेवी वनवासी आश्रम के संतोष परांजपे ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में विद्याथिर्यों के मानसिक विकास के साथ-साथ उन्हें प्रश्न पूछने हेतु प्रेरित करना चाहिए। छत्तीसगढ़ राज्य के उच्चशिक्षा राज्य नोडल अधिकारी डॉ समरेन्द्र सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य में उच्चशिक्षा नीति के अंतर्गत चल रही विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। कुलपति प्रो. दीक्षित ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए।
दो सत्रों में विभाजित इस कार्यशाला के प्रथम सत्र में धन्यवाद ज्ञापन दुर्ग विवि के प्रभारी कुलपति डॉ एसके त्रिपाठी ने किया। सरस्वती वंदना डॉ के पद्मावती एवं डॉ मीना मान ने किया।
कार्यशाला के संचालक डॉ जयप्रकाश साव ने कार्यशाला के विषय तथा नई शिक्षा नीति के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ साव ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित नई शिक्षा नीति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए 20 प्रमुख बिंदुओं की सारगर्भित जानकारी दी।
दुर्ग संभाग के पांचों जिले के नई शिक्षा नीति से संबंधित नोडल अधिकारियों प्रो. प्रशांत श्रीवास्तव (दुर्ग), डॉ आरके जैन (बालोद), डॉ केके देवांगन (राजनांदगांव), डॉ एसी वर्मा (कवर्धा), डॉ मंजरी (बेमेतरा) ने प्रेजेन्टेशन दिया। शिक्षा की गुणवत्ता हेतु अभिशासन में सुधार, संस्थानों की रैंकिंग एवं प्रत्यायन, विश्वविद्यालय को बेहतर बनाना, केन्द्रीय संस्थानों की भूमिका, दूरस्थ शिक्षा एवं आनलाइन पाठ्यक्रमों को बढ़ावा, क्षेत्रीय विषमता को दूर करना, उच्चशिक्षा का वित्त पोषण, उच्चशिक्षा का अंतरराष्ट्रीयकरण, समाज से जोड़ना, नया ज्ञान, निजी क्षेत्र के साथ सार्थक भागीदारी तथा अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने पर विचार मंथन हुआ।
कुलपति प्रो. एनपी दीक्षित दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के प्राचार्य डॉ आरएन सिंह, समाजशास्त्री प्रो. जीपी शर्मा, डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला में जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष संजय बोहरा, उच्चशिक्षा संचालनालय के अतिरिक्त संचालक डॉ डीएन वर्मा, संयुक्त संचालक डॉ किरण गजपाल, विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य डॉ एलआर वर्मा, डॉ आरएन सिंह, डॉ जेहरा हसन, डॉ रक्षा सिंह, डॉ आनंद विश्वकर्मा, डॉ कल्पना शर्मा, डॉ देवहुति तिवारी, दीपक नगर के पार्षद विजय जलतारे, शिक्षाविद डॉ एचएन दुबे, डॉ डीएन शर्मा, डॉ एलके साव, डॉ अरुण मिश्रा, डॉ शकील हुसैन, डॉ सोमाली गुप्ता, डॉ वाय आर कटरे, डॉ मीना, डॉ ज्योति केरकेट्टा, महाविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष चंद्रहास उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ सुशील चंद्र तिवारी ने किया।

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