350 रुपए में खोदी गई थी अभिषेक की कब्र

abhishek_mishraभिलाई। शंकरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स के डायरेक्टर अभिषेक मिश्र की लाश को दफ्ने करने के लिए 350 रुपए की मजदूरी देकर गड्ढा खुदवाया गया था। जिस मजदूर ने पांच फुट का गड्ढा खोदा था उसीके बेटे ने तीन दिन बाद गड्ढे को पाटा था। सीएसपी दुर्ग एनपी उपाध्याय के मुताबिक पुलिस ने जुनवानी निवासी मजदूरी पिता पुत्र की पहचान कर ली है। आरोपी विकास जैन, अजित सिंह काम्बोज और किम्सी काम्बोज ने जुनवानी से मजदूर बुलाया था। मजदूर सरजू को उन्होंने बताया था कि रेन वाटर पाइप के पास उन्हें कोई मशीन लगानी है जिसके लिए लगभग पांच फीट लंबा और तीन फीट चौड़ा गड्ढा खोदना है। गड्ढा लगभग छह फीट गहरा था। तीन दिन बाद उन्होंने पुन: सरजू को बुलाया पर वह घर पर उपलब्ध नहीं था। इसलिए उसके बेटे को गड्ढा पाटने के लिए बुलाया गया। उसे बताया गया कि मशीन लगा दी गई है, सिर्फ मिट्टी भरना है। गड्ढा खोदने के लिए 350 रुपए मजदूरी दी गई थी जबकि उसे पाटने के लिए 100 रुपए की मजदूरी दी गई थी। उल्लेखनीय है कि 9 नवंबर 2015 को लापता हुए श्री शंकराचार्य ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा का शव 23 नवम्बर को स्मृति नगर सड़क-12 के कोने में स्थित मकान नम्बर 80 से बरामद किया गया था।

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