अद्भुत है विद्या की नृत्यसाधना : पद्मभूषण सरोजा
भिलाई। एमजीएम स्कूल की कक्षा दसवीं की छात्रा कु वी विद्या का नृत्य देखकर पद्मभूषण डॉ सरोजा वैद्यनाथन अवाक रह गईं। उन्होंने कहा कि महज तीन साल के प्रशिक्षण में उसने जो प्रस्तुति दी वह अद्भुत है। वह एक दिन बहुत बड़ी नृत्यांगना बनेगी। डॉ वैद्यनाथन यहां कला मंदिर में आयोजित वी विद्या के अरंगेत्रम समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से संबोधित कर रही थीं। Read Moreउन्होंने कहा कि आम तौर पर किसी भी नृत्यु प्रशिक्षु को यहां तक पहुंचने में कम से कम सात साल का वक्त लगता है। किन्तु विद्या ने यह सफर अपने गुरू राखी रॉय के सान्निध्य में इतने कम समय में तय कर अचंभित कर दिया है।
डॉ वैद्यनाथन ने कहा कि आज के बच्चे बेहद प्रतिभाशाली हैं और आशा जगाते हैं किन्तु जैसे ही ये डाक्टर या इंजीनियर बनने के लिए चले जाते हैं, कला साधना पीछे छूट जाती है। इस तरह अनेक प्रतिभाएं समय से पहले ही मुरझा जाती हैं। उन्होंने कहा कि कला प्रतिभा से युक्त बच्चों को आट्र्स जैसे विषय लेने चाहिए ताकि वे अपनी कला साधना को भी जारी रख सकें।
अमर है शास्त्रीय कला
पद्मभूषण डॉ सरोजा ने कहा कि भारतीय शास्त्रीय कला ईश्वरीय देन है इसलिए आज इतने वर्षों बाद भी यह अपने मूल रूप में जीवित है जबकि आधुनिक नृत्य, गीत और संगीत अपने समय पर आते हैं, खूब धूम मचाते हैं और फिर विलुप्त भी हो जाते हैं। पर हजारों वर्षों से चली आ रही शास्त्रीय नृत्य संगीत कला आज भी अपने अपने घरानों के माध्यम से जिंदा हैं।
इससे पूर्व भगवान नटराज को प्रणाम कर वी विद्या ने पुष्पांजलि, अलारिपु, जतीश्वरम, वर्णम, पदम, कीर्तनम, तिल्लाना आदि की मनमोहक प्रस्तुति दी। गुरु राखी राय एवं अतनु दास के दिशा निर्देशन तथा चंद्र राव (गायन), तंजावुर आर केशवन (मृदंगम), साई कुमार (वायलिन) तथा श्रीधर आचार्य (स्पेशल इफेक्ट्स) की संगत में प्रस्तुति दी।