रूंगटा फार्मेसी कॉलेज में सोरियोसिस पर रिसर्च
भिलाई। संतोष रूंगटा समूह द्वारा भिलाई के कोहका में संचालित रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च (आरसीपीएसआर) अपनी रिसर्च गतिविधियों तथा फार्मेसी कोर्सेस की उत्तम गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिये राज्य के युवाओं की पहली पसंद रहा है। हाल ही में रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च की सहायक प्राध्यापिका डॉ. मधुलिका प्रधान को साइंस एण्ड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (एसइआरबी), डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नालॉजी (डीएसटी), नई दिल्ली द्वारा डेवलपमेंट एण्ड कैरेक्टराइजेशन ऑफ लिपिड बेस्ड नोवेल टॉपिकल फॉर्मूलेशन फॉर ट्रीटमेंट ऑफ सोरियोसिस विषय पर रिसर्च हेतु एसइआरबी की नेशनल पोस्ट डॉक्टरल फेलोशिप स्कीम के अंतर्गत 20 लाख रूपये की ग्रांट जारी की गई है। इस रिसर्च कार्य हेतु इनके मेन्टोर आरसीपीएसआर के वाइस प्रिंसिपल तथा एसोसियेट प्रोफेसर डॉ. एजाजुद्दीन होंगे तथा कॉलेज की प्रयोगशाला में यह रिसर्च वर्क किया जायेगा जिसकी अवधि 2 वर्ष की होगी।
सोरियोसिस बीमारी क्या है ?
सोरियोसिस त्वचा से संबंधित एक ऑटो इम्यून डर्मल डिस्ऑर्डर है जिसमें शरीर में असामान्य एंटीजन बनने लगते हैं तथा त्वचा मोटी होने लगती है इससे मरीज की त्वचा में स्केली पैचेस आ जाते हैं तथा घाव हो जाता है जिसमें असहनीय इचिंग (खुजली) होने लगती है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इलाज कराने पर इसके लक्षण तो दूर हो जाते हैं पर यह बीमारी फिर से उत्पन्न हो जाती है।
रिसर्च से क्या होगा लाभ?
इस रिसर्च वर्क के दौरान ऐसा ड्रग डिलिवरी सिस्टम विकसित करने पर कार्य किया जा रहा है जिससे मरीज को दवा बार-बार न देनी पड़े। इसमें त्वचा से जुड़ी इस बीमारी के इलाज के लिये नोवेल फॉर्मूलेशन बनाया जायेगा जो कि त्वचा से सीधे संपर्क में नहीं आयेगा तथा दवा को एक थैली जैसे फॉर्म में भरकर त्वचा में हुए घावों के संपर्क में लाया जायेगा। इसके लिये लिपिड वेसिकल्स (वसायुक्त थैली) में दवा को भरकर त्वचा में हुए घाव के संपर्क में लाया जायेगा। चूंकि त्वचा की संरचना भी लिपिड वेसिकल्स से मिलती-जुलता होती है जिसके फलस्वरूप लिपिड आसानी से त्वचा में अवशोषित हो जाता है जिसके साथ-साथ थैली में उपस्थित दवा भी अवशोषित हो जाती है। इस प्रकार दवा का त्वचा से सीधे संपर्क नहीं होने से दवा की वजह से होने वाली जलन आदि से मुक्ति मिल जायेगी। आमतौर पर सोरियोसिस के इलाज हेतु टॉपिकल या ओरल ट्रीटमेंट दिया जाता है जिसके अंतर्गत वर्तमान में उपलब्ध दवाओं में मरीज को दवा के डोज लगातार देने पड़ते हैं इसके अलावा इलाज हेतु निर्देशित दवायें सामान्यत: स्टीरीयॉड्स होती हैं जो कि लम्बे समय तक नहीं लिये जा सकते क्योंकि इसके साइड इफेक्ट्स बहुत अधिक होते हैं। इसके फलस्वरूप सोरियोसिस के मरीज के लिये इलाज की प्रक्रिया असहज होती है। इसके अलावा इलाज हेतु जेल फॉर्म में उपलब्ध दवा जब त्वचा से सीधे संपर्क में आती है तो इससे जलन तथा लालपन आ जाता है जो कि मरीज के लिये कठिनाई का समय होता है। इस रिसर्च से सोरियोसिस के मरीजों को इस कठिनाई से राहत मिलने की उम्मीद है।
आरसीपीएसआर में कई रिसर्च
संतोष रूंगटा समूह के डायरेक्टर एफ एण्डए सोनल रूंगटा के अनुसार रूंगटा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटीकल्स साइंसेस एण्ड रिसर्च राज्य का एकमात्र तथा इकलौता निजी कॉलेज है जहां रिसर्च हेतु एसइआरबी द्वारा रिसर्च हेतु इतनी बड़ी राशि प्रदान की गई है। इसके पूर्व से भी आरसीपीएसआर की प्रयोगशाला में अन्य कई रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर कार्य किया जा रहा है जिसमें प्रमुख एसइआरबी, डीएसटी, नई दिल्ली की यंग साइंटिस्ट स्टार्ट अप ग्रांट तथा सीजीकॉस्ट, रायपुर के मिनी रिसर्च प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। आरसीपीएसआर के प्रिंसिपल डॉ. डी.के. त्रिपाठी के अनुसार यह कॉलेज सीएसवीटीयू, भिलाई द्वारा मान्यता प्राप्त पीएचडी रिसर्च सेंटर भी है तथा हाल ही में ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीइ) द्वारा पीआईओ कोटा के तहत कॉलेज में विदेशी छात्रों के लिये बी.फार्मा तथा एम. फार्मा कोर्सेस में अतिरिक्त 15 प्रतिशत सीटों पर मंजूरी प्रदान की है।