तेजी से बढ़ रहे हैं प्रोस्टेट कैंसर के मामले, आरंभिक चरणों में पूर्ण इलाज संभव : डॉ दारूका

आरोग्याम यूरोलॉजी सेन्टर में 26 सितम्बर को नि:शुल्क स्क्रीनिंग कैम्प भिलाई। प्रोस्टेट कैंसर आज भारतीय पुरुषों में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है। फेफड़ों और मुंह के कैंसर के बाद यह तीसरा सर्वाधिक पाया जाने वाला कैंसर है। समय पर पकड़े जाने एवं इलाज करने पर 99 फीसदी प्रोस्टेट कैंसर को ठीक किया जा सकता है। 1990 के बाद भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में 220 प्रतिशत की दर से इजाफा हुआ है। नियमित जांच से प्रोस्टेट कैंसर की जल्द पहचान कर उसका सम्पूर्ण इलाज करना संभव है।

भिलाई। प्रोस्टेट कैंसर आज भारतीय पुरुषों में सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ने वाला कैंसर है। फेफड़ों और मुंह के कैंसर के बाद यह तीसरा सर्वाधिक पाया जाने वाला कैंसर है। समय पर पकड़े जाने एवं इलाज करने पर 99 फीसदी प्रोस्टेट कैंसर को ठीक किया जा सकता है। 1990 के बाद भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामलों में 220 प्रतिशत की दर से इजाफा हुआ है। नियमित जांच से प्रोस्टेट कैंसर की जल्द पहचान कर उसका सम्पूर्ण इलाज करना संभव है। तेजी से बढ़ रहे हैं प्रोस्टेट कैंसर के मामले, आरंभिक चरणों में पूर्ण इलाज संभव : डॉ दारूका आरोग्याम यूरोलॉजी सेन्टर में 26 सितम्बर को नि:शुल्क स्क्रीनिंग कैम्पआरोग्यम यूरोलाजी एवं लिथोट्रिप्सी सेंटर के वरिष्ठ मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ नवीन राम दारूका ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर पुरुषो में होने वाले सामान्य कैंसर रोगों में से एक है। प्रोस्टेट कैंसर की संभावना उम्र के साथ बढ़ती जाती है। शुरुवाती चरणों में पहचान होने पर इसे रोका जा सकता है अन्यथा यह मृत्यु का भी कारण बन सकता है। प्रोस्टेट कैंसर का पता लगाने के लिए आरोग्यम यूरोलाजी एवं लिथोट्रिप्सी सेंटर में 26 सितम्बर को एक नि:शुल्क शिविर लगाया जा रहा है।
डॉ. दारुका ने बताया की प्रोस्टेट ग्रंथि अखरोट के आकार की होती है जो मूत्राशय के ठीक नीचे, मूत्रनली को घेरे रहती है। यह पुरुष प्रजनन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शुक्राणुओं को जीवित रखने में सहायक होती है।
प्रोस्टेट प्रथम चरण में युवावस्था तक विकसित होती है तथा द्वितीय चरण में यह 40 वर्ष की आयु के बाद बढ़ने लगती है। इसे बीपीएच कहते हैं। बढ़ी हुई ग्रंथि पेशाब नली पर दबाव डालती है जिसे बार-बार पेशाब आना, पेशाब की धार कमजोर होना, पेशाब का अधूरा होना तथा पेशाब में जलन, दर्द होना इत्यादि समस्या आ सकती है।
डॉ. दारुका ने बताया कि 40 वर्ष के बाद सभी पुरुषों को प्रतिवर्ष पीएसए की जाँच करानी चाहिए। प्रोस्टेट में कई प्रकार की बीमारियां होती है, जिनमें संक्रमण, बीपीएच, प्रोस्टेट कैंसर आदि प्रमुख हैं।
बीपीएच तथा प्रोस्टेट कैंसर के लक्ष्ण एक जैसे होते हैं। पीएसए तथा डीआरआई जांच से प्रोस्टेट कैंसर की पहचान की जा सकती है। देर होने पर प्रोस्टेट कैंसर हड्डियों तक फैल चुका होता है। आरंभिक चरणों में प्रोस्टेट कैंसर की पहचान होने पर शल्यचिकित्सा द्वारा पूर्ण उपचार संभव है। अंतिम चरणों में पहचान होने पर प्रोस्टेट कैंसर को अत्याधुनिक दवाइयों तथा शल्यचिकित्सा से बढ़ने से रोका जा सकता है। तेजी से बढ़ रहे हैं प्रोस्टेट कैंसर के मामले, आरंभिक चरणों में पूर्ण इलाज संभव : डॉ दारूका. आरोग्याम यूरोलॉजी सेन्टर में 26 सितम्बर को नि:शुल्क स्क्रीनिंग कैम्प

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