Trauma patient saved in Aarogyam Hospital

जान पर बन आया किडनी स्टोन, आरोग्यम में बची जान

कैजुअल्टी पहुंचने तक जा चुकी थी चेतना, सीपीआर के साथ ही देने पड़े बिजली के झटके

भिलाई। बोरसी निवासी एक व्यक्ति की जान किडनी की पथरी की वजह से खतरे में पड़ गई. इसकी वजह से न केवल उसका रक्तचाप गिर गया बल्कि दिल ने भी धड़कना बंद कर दिया. जब तक मरीज को आरोग्यम सुपरस्पेशालिटी अस्पताल लाते, वह बेहोश हो चुका था. सीपीआर और बिजली का झटका देकर किसी तरह उसके हृदय को शुरू किया गया और फिर उसे आईसीयू में दाखिल किया गया. मरीज की स्थिति से परिजनों को अवगत करा दिया गया पर डाक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी.
आरोग्यम के यूरोलॉजिस्ट डॉ नवीन राम दारूका ने बताया कि मरीज कृष्ण कुमार वर्मा को जब अस्पताल लाया गया तो उसे सांस लेने में काफी तकलीफ हो रही थी. कैजुअल्टी बेड पर आते तक वह बेहोश हो चुका था. हार्टबीट नहीं मिल रहा था और बीपी भी रिकार्ड किये जाने योग्य नहीं था. मरीज को तत्काल सीपीआर दिया गया और बिजली के झटके भी लगाए गए. मरीज की धड़कनें लौट आईं. मरीज को आईसीयू शिफ्ट कर वेंटीलेटर पर डाल दिया गया. मरीज की पत्नी गायत्री वर्मा और बेटी ऐश्वर्या बुरी तरह घबराए हुए थे. पर हमने हिम्मत नहीं हारी.
डॉ दारूका ने बताया कि मरीज का हार्ट रेट 42 तक गिर गया था. साथ ही एसपीओ-2 लेवल भी गिरकर 55 पर पहुंच गया था और लगातार गिरता जा रहा था. एबीजी (आर्टीरियल ब्लड गैस) जांच में सीवियर मेटाबोलिक एसिडोसिस पाया गया. इसमें मरीज के शरीर में अम्लता बहुत बढ़ जाती है. मरीज का क्रिएटिनिन लेवल 24 तक पहुंच गया था. नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ आरके साहू की सलाह पर मरीज का तत्काल डायलिसिस शुरू कर दिया गया.
डॉ दारूका ने बताया कि डायलिसिस शुरू होने के बाद मरीज का बीपी और पल्स नॉर्मल होने लगा. इसके बाद मरीज की सीटी स्कैन कराई गई. सीटी स्कैन से पता चला कि मरीज के किडनी में पथरी है. इसके कारण रक्त का प्रवाह बाधित हो रहा है. मरीज की किडनी में स्टेंट लगाने का फैसला किया गया. स्टेंट लगाने के बाद मरीज की हालत में तेजी के साथ सुधार होने लगा.
डॉ निमाई दत्ता ने बताया कि अब मरीज खतरे से बाहर है. स्टेंट लगने के बाद मरीज की किडनियां प्रतिघंटे 100 से 150 मिलीलीटर तक यूरिन पास कर रही हैं. हालांकि किडनी में पथरियां अभी हैं पर उन्हें निकालने में कोई जल्द बाजी नहीं की जाएगी.
इधर कृष्ण कुमार वर्मा और उनका परिवार बेहद खुश है. उन्होंने कहा कि समय पर अस्पताल पहुंचने, सही निदान होने और सही दिशा में चिकित्सा प्रारंभ होने के कारण ही उनकी जान बच पाई. उन्होंने बताया कि इस अटैक से दो-तीन दिन पहले भी उन्हें चक्कर आ गया था. उन्होंने इसके बाद अपना शुगर और क्रिएटिनिन जांच करवाया था. जब उन्हें क्रिएटिनिन के हाईलेवल का पता लगा तो अस्पताल जाने का फैसला किया. पर तब तक शायद काफी देर हो चुकी थी. अस्पताल पहुंचने के बाद उनके साथ क्या-क्या किया गया, उन्हें कुछ याद नहीं है. जब उनकी आंखें खुलीं तो उन्होंने स्वयं को आईसीयू में पाया. इस बीच उनके साथ क्या क्या हुआ और परिवार पर क्या क्या बीती, उसकी जानकारी उन्हें अपनी बेटी और पत्नी से चली. उन्होंने आरोग्यम अस्पताल की पूरी टीम को उनके अथक प्रयासों के लिए बधाई दी. साथ ही कहा कि यह अस्पताल किडनी और पेशाब की समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.

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