हाइटेक में मरीज ने पूरा किया पीएच 6.9 से 7.4 तक का सफर
भिलाई. हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में नीम बेहोशी की स्थिति में पहुंचे एक युवक की जान बचा ली गई. मधुमेह का शिकार 32 वर्षीय यह युवक जब अस्पताल आया तो उसकी हालत खराब हो रही थी. जांच करने पर पता चला कि उसके रक्त में अम्लता का स्तर बहुत ज्यादा हो गया है. मरीज को तत्काल आईसीयू में शिफ्ट कर वेन्टीलेटर पर डाल दिया गया तथा अम्लता को धीरे-धीरे कम करने के प्रयास प्रारंभ कर दिये गये. तीन दिन की मशक्कत के बाद मरीज को आईसीयू से बाहर निकाला गया. इसके दो दिन बाद उसे छुट्टी दे दी गई.
हाइटेक के इंटेंसिविस्ट डॉ प्रतीक जैन ने बताया कि ऐसे मरीजों की जान को जोखिम हो जाता है. मधुमेह के रोगियों में इस स्थिति को कीटोएसिडोसिस कहते हैं. रक्त में अम्लता का स्तर सामान्यतः 7.35 से 7.45 पीएच का होता है. मधुमेह रोगियों के रक्त में जब कीटोन की मात्रा बढ़ जाती है तो अम्लता में वृद्धि होने लगती है और पीएच का स्तर गिर जाता है. पीएच का स्तर 6.9 से कम होने पर रोगी के कोमा में चले जाने का खतरा हो जाता है. ऐसे मरीजों में एग्रेसिव ट्रीटमेंट मरीज के भावी जीवन को जोखिम में डाल सकता है. इसलिए हमने बड़ी सावधानी के साथ ट्रीटमेंट प्लान किया. मरीज को फ्लूइड्स के साथ एंटीबायोटिक्स दिये गये तथा धीरे-धीरे पीएच स्तर को सामान्य किया गया. अन्यथा उसके दिमाग में सूजन (सेरेब्रल एडिमा) आ सकती थी. मरीज को एक्यूट किडनी इंजरी होने की संभावना बढ़ जाती.
मरीज को जब अस्पताल लाया गया था तो वह अर्ध बेहोशी की स्थिति में था. उसकी सांस फूल रही थी. मरीज गंभीर निर्जलीकरण का शिकार था. परिधीय नाड़ी कमजोर थी. ऐसे मामलों में मरीज कोमा में जा सकता है, यहां तक कि उसकी मृत्यु हो सकती है. हमें खुशी है कि न केवल 32 वर्षीय इस मरीज की जान बचाने में हम सफल रहे बल्कि उसके भावी जीवन की गुणवत्ता को भी सुरक्षित रखा.