Nephrotic syndrome in children

इन लक्ष्णों को न करें नजरअंदाज, हो सकती है यह गंभीर बीमारी

भिलाई। सात वर्षीय एक बालक पिछले काफी समय से परेशान था. भोजन करना मुश्किल हो गया था. खाते ही उलटियां होने लगतीं. शरीर में सूजन भी दिखाई देने लगती. निजी क्लिनिक से लेकर सरकारी अस्पताल तक के वह चक्कर काट चुका था पर न तो बीमारी पकड़ में आ रही थी और न ही बच्चे को राहत मिल रही थी. दरअसल, बच्चा Nephrotic Syndrome का शिकार था. यह किडनी की बीमारी है. आरोग्यम सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर में उसका इलाज किया गया.
स्थिति गंभीर होने पर बालक को पिछले सप्ताह आरोग्यम लाया गया. नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ आरके साहू ने बालक दीपक कुमार निषाद की जांच की. पूछने पर पता चला कि बच्चे को पेशाब भी बहुत कम होता है. जब बालक को अस्पताल लाया गया तब भी उसके हाथ पांव और चेहरे पर काफी सूजन थी. पेशाब बहुत कम आ रहा था. उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और रह-रह कर खांसी हो रही थी. बालक को तुरंत आक्सीजन सपोर्ट पर रखकर उसका इलाज प्रारंभ कर दिया गया.
डॉ साहू ने बताया कि बालक नेफ्रोटिक सिंड्रोम का शिकार था. इस उम्र में नेफ्रोटिक सिंड्रोम होने पर शरीर से प्रोटीन पेशाब के साथ निकल जाता है. धीरे-धीरे पेशाब की मात्रा भी कम होने लगती है. शरीर में पानी भरने लगता है और हाथ, पैर, चेहरे के साथ ही पूरे शरीर में सूजन होने लगती है. मरीज को भोजन में अरुचि हो जाती है. भोजन करने पर उलटी हो जाती है. धीरे-धीरे पेशाब की मात्रा कम होती चली जाती है.
उन्होंने बताया कि ऐसा किडनी की खराबी के कारण होता है. किडनी के फिल्टर ज्यादा मात्रा में प्रोटीन को पेशाब में बह जाने देते हैं. निम्न रक्त एल्बुमिन स्तर, उच्च रक्त लिपिड और सूजन इसकी पुष्टि करते हैं. इसके अलावा रोगी का वजन बढ़ना, थकान महसूस होना और पेशाब में झाग आना जैसे लक्षण हो सकते हैं. स्थिति जटिल होने पर रक्त के थक्के, संक्रमण और उच्च रक्तचाप जैसी परेशानियां हो सकती है. जीवन को जोखिम भी हो सकता है.
इलाज प्रारंभ होने के 24 घंटे बाद अब उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ रही है. पिछले 24 घंटे में मरीज को लगभग 1800 मिली पेशाब हुआ है. अभी उसकी हालत काफी ठीक है. मरीज को जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.

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