एमजे कालेज के “लाइट हाउस” में स्वयंसिद्धा ने सिखाया लाइफ स्किल
भिलाई। जीवन भर खट्टे मीठे अनुभव होते रहेंगे. पर हमें नकारात्मक बातों पर प्रतिक्रिया करने की बजाय अपनी उड़ान इतनी ऊंची कर लेनी चाहिए कि छोटी-मोटी चीजें हमारे रास्ते में रुकावट न बन सकें. यह बातें “स्वयंसिद्धा- अ मिशन विद विजन” की निदेशक डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने आज कहीं. वे एमजे कालेज के “लाइट हाउस” कार्यक्रम में शिरकत कर रही थीं. इस कार्यक्रम का उद्देश्य सफल लोगों को विद्यार्थियों से रूबरू कराना है ताकि वे भी सफलता के गुर सीख सकें.
डॉ सोनाली ने बताया कि उन्होंने जब पहले बाल मेला का आयोजन किया था तब वे सातवीं की छात्रा थीं. उनके साथ एक छठवीं और एक नवी की छात्रा भी थी. यह आयोजन उन गृहिणियों को मंच उपलब्ध कराना था जो घर पर रहकर परिवार की देखभाल करती थीं. इस मेले में उनके द्वारा प्रस्तुत खाद्य सामग्रियों के स्टाल लगाए गए थे. यह सिलसिला 5 वर्षों तक चलता रहा. इसके बाद उन्होंने संगीत की शिक्षा प्राप्त की और फिर संगीत सिखाना शुरू कर दिया. बस्ती के बच्चों के साथ “कच्ची धूप” का मंच सजाया और बच्चों को रचनात्मक दिशा देने में सफल रही. गृहिणियों के साथ काम करने का जज्बा बढ़ता गया. आज अनेक गृहिणियां भी संगीत की औपचारिक शिक्षा प्राप्त कर डिग्री धारी बन चुकी हैं.
उन्होंने कहा कि आरंभ से ही उन्हें यह बात परेशान करती थी कि लोग गृहिणी के कार्य और समर्पण को तुच्छ समझते थे. बस फिर क्या था उन्होंने गृहिणियों में छिपी हुई प्रतिभा को सामने लाने का प्रण कर लिया और आज भी यही कर रही हैं. 14 अप्रैल को स्वयंसिद्धा के स्थापना दिवस पर उन्होंने 100 गृहिणियों को एक मंच पर लाकर एक नाटक खेला. इसका उद्देश्य भिलाई को मिनी इंडिया बनाने वाली गृहिणियों की इसमें भूमिका को रेखांकित करना था.
सोनाली ने कहा कि अपने सारे शौक छोड़कर एक महिला जब विवाह के बाद एक परिवार की जिम्मेदारी लेने पहुंचती है तो वह परिवार के प्रति प्रतिबद्धता के चलते स्वयं को भूल जाती है. पर एक समय आता है जब उसपर जिम्मेदारियों का बोझ कुछ कम हो जाता है. ऐसे समय में वे चाहें तो नए सिरे से अपने हुनर को तराश सकती हैं और मंच पर सबके सामने आकर आत्मतुष्टि प्राप्त कर सकती हैं. जीवन में इन छोटी छोटी खुशियों की बहुत जरूरत है ताकि जीवन नीरस न हो जाए.
इस चर्चा में महाविद्यालय की निदेशक डॉ श्रीलेखा विरुलकर, प्राचार्य डॉ अनिल कुमार चौबे ने भी हिस्सा लिया. सूत्रधार की भूमिका सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने निभाई. मौके पर शिक्षा संकाय की अध्यक्ष डॉ श्वेता भाटिया, नेहा महाजन, आराधना तिवारी, वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय से अजय वर्मा, स्नेहा चन्द्राकर, विज्ञान संकाय से पीएम अवंतिका, प्रीति देवांगन, कृतिका गीते सहित शिक्षा संकाय के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे. इस अवसर पर विद्यार्थियों ने भी उनसे कई विषयों पर खुलकर चर्चा की.
इस अवसर पर महाविद्यालय में प्रारंभ होने जा रहे एक अभिनव प्रयोग का भी औपचारिक उद्घाटन डॉ सोनाली चक्रवर्ती ने किया. ड्रामाटिक्स इन एजुकेशन के नाम से संचालित होने वाली इस 6 दिवसीय कार्यशाला में शिक्षा प्रशिक्षुओं को विद्यार्थियों से संवाद करने के बेहतर तरीकों के बारे में बताया जाएगा. डॉ सोनाली ने इस कार्यक्रम की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए इसकी सफलता की कामना की.