“ट्री-मैन” नहीं बल्कि “पार्कुपाइन मैन” के हैं ये लक्षण
रायपुर. दंतेवाड़ा की जागेश्वरी एक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह बालिका ट्री-मैन सिन्ड्रोम से पीड़ित है. इसका पहले भी इलाज हो चुका है पर यह बीमारी बार-बार लौट कर आ जाती है. इस बालिका के बारे में सोनू सूद के ट्वीट के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी ट्वीट किया है. बालिका को रायपुर लाया गया है जहां उसका इलाज प्रारंभ कर दिया गया है. पर जिस बीमारी से वह पीड़ित है वह “ट्री मैन सिंड्रोम” है या “पार्कुपाइन मैन सिंड्रोम?”
“ट्री मैन सिंड्रोम” हो या “पार्कुपाइन मैन सिंड्रोम”, ये दोनों ही बीमारियां दुर्लभ हैं पर दोनों के कारण अलग-अलग हैं. दोनों का ही कोई स्थाई इलाज उपलब्ध नहीं है. सर्जरी द्वारा स्केल्स को हटा दिया जाता है और कुछ समय बाद ये फिर से बन जाते हैं. दुनिया में जब पहली बार ऐसा मरीज आया तो उसके शरीर पर उभरे पेड़ की छाल जैसी संरचना के कारण उसे ट्री मैन नाम दिया गया. दुनिया भर में अब तक कोई 501 ऐसे मरीजों का पता चला है जिनमें ट्री-मैन या पार्कुपाइन मैन सिंड्रोम पाया गया है.
किस तरह अलग हैं ये दोनों बीमारियां
एपिडर्मोडिस्प्लासिया वेरुसीफोर्मिस Epidermodysplasia verruciformis को ट्री-मैन सिंड्रोम कहा जाता है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें पीड़ित के शरीर में त्वoचा के साथ पेड़ जैसी संरचनाएं उगने लगती हैं. जिस तरह सामान्यह व्यकक्तियों में त्वबचा पर बहुत छोटे रेशे यानी बाल होते हैं, वहीं इस बीमारी से पीड़ित व्यरक्ति की त्व्चा पर पेड़ की छाल जैसी संरचनाएं उगने लगती हैं. यह इतनी कड़ी होती है कि व्यहक्ति को अपने निजी काम करने में भी परेशानी आने लगती है. इन संरचनाओं को सर्जरी द्वारा हटा दिया जाता है. पर कुछ समय बाद ये फिर से बनने लगते हैं.
इच्थियोसिस हिस्ट्रिक्स Ichthyosis hystrix
दंतेवाड़ा के गीदम ब्लाक की रहने वाली जागेश्वरी को इच्थियोसिस हिस्ट्रिक्स से पीड़ित बताया गया है. इसे पार्कुपाइन सिन्ड्रोम (साही आदमी) भी कहा जाता है. इस रोग की पहचान काँटेदार शल्कों से होती है जो चेहरे, जननांगों, हथेलियों और तलवों को छोड़कर पूरे शरीर को ढँक लेते हैं. इसलिए इसकी तुलना साही से की जाती है. अब तक का एकमात्र ज्ञात मामला एडवर्ड लैम्बर्ट का है. इस बीमारी के कोई भी मामले अब ज्ञात नहीं हैं, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक प्रकार का एपिडर्मोलिटिक हाइपरकेराटोसिस हो सकता है. लैम्बर्ट परिवार के इतिहास से ऐसा प्रतीत होता है कि यह बीमारी एक ऑटोसोमल प्रमुख स्थिति रही है.
बच्ची का हो रहा उपचार
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने फेसबुक वाल पर पोस्ट किया है, “दंतेवाड़ा की बच्ची जो गंभीर बीमारी से पीड़ित है, बिटिया राजेश्वरी का उपचार शुरू हो गया है. जल्द ही स्वस्थ हो जाएगी. पिता के नहीं होने के कारण उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. हम सब बिटिया के जल्दी ठीक होने की कामना करते हैं.” इससे पहले बॉलीवुड एक्टर और समाजसेवा गतिविधियों से चर्चा में आए सोनू सूद ने ट्वीट किया था – “चलिए कोशिश करते हैं ऊपर वाला है ना.”
सोमवार को कलेक्टर विनीत नंदनवार के मार्गदर्शन में स्वास्थ विभाग की टीम गीदम पहुंची थी. जागेश्वरी के ग्राम कौरगांव पहुंचकर उसे एंबुलेंस से दंतेवाड़ा जिला चिकित्सालय लाया गया था. प्रारंभिक उपचार के बाद उसे बेहतर उपचार के लिए रायपुर भेजा गया है. जागेश्वरी के साथ दंतेवाड़ा से स्वास्थ विभाग का दल भी भेजा गया है, जो जागेश्वरी के साथ वहां रहकर उसका बेहतर उपचार एवं देखरेख करेगा. जागेश्वरी के इलाज के लिए समस्त आवश्यक खर्च स्वास्थ विभाग के द्वारा किया जाएगा.