विश्व धरोहर दिवस : 75 फुट ऊंचे इंटों के ब्रिज पर चलती थी ट्रेन
रायपुर। छत्तीसगढ़ के चिरमिरी व मनेंद्रगढ़ रेल सेक्शन के मध्य हसदेव नदी पर 75 फुट ऊंचा और 200 मीटर लंबा एक रेलवे पुल है. अब यह पुल उपयोग में नहीं है. इसका निर्माण अंग्रेजों ने 1925 में करवाया था. रोम व पेरिस के इंजीनियरों की देखरेख में यह पुल बना था. इसमें जापान से आयातित सीमेंट का उपयोग किया गया था. उन दिनों यह पुल बंगाल नागपुर रेलखंड (बीएनआर) का हिस्सा था. एशिया का यह सर्वाधिक ऊंचा ईंटों से निर्मित रेलवे ब्रिज रख-रखाव के अभाव में अपना अस्तित्व खोता जा रहा है.
वर्ष 1927 में इस पुल पर रेल यातायात शुरू हुआ. अपनी बेजोड़ स्थापत्य कला के कारण रेलवे के कैलेंडरों में इस ब्रिज को समय-समय पर स्थान मिलता रहा है. बाद में रेलवे ने इस बूढ़े पुल के समानांतर नया पुल बनवाया लिया. अब यह पुल कबाड़ियों की भेंट चढ़ गया है. इसकी लोहे की रेलिंग को काट-काट कर असामाजिक तत्वों ने बेच दिया है. धरोहरों की ऐसी दुर्दशा का यह कोई पहला मामला नहीं है. बालोद-धमतरी मार्ग पर स्थित करकाभाट की हजारों साल पुरानी पाषाण कब्रिस्तान के पत्थरों को क्रशर प्लांट वाले उठाकर सड़क निर्माण में खपा चुके हैं. यहां के मेनहिर और डोलमन श्रेणी के प्रस्तर निर्माण भी अपना अस्तित्व खोने की कगार पर हैं.
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