Spine Surgery in Hitek

कमर पर आ गिरी लक्जरी बस, इलाज के लिए भटकता रहा चालक

भिलाई। किसी हादसे का शिकार हो जाना वैसे ही कम पीड़ादायक नहीं है. इसपर यदि इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़े तो तकलीफ और बढ़ जाती है. पिछले 25 वर्षों से लक्जरी बस चला रहे मो. शमी के साथ भी ऐसा ही हुआ. कई अस्पताल और मेडिकल कालेज घूमने के बाद अंततः वे हाइटेक सुपर स्पेशालिटी हॉस्पिटल पहुंचे जहां उनकी न्यूरोसर्जरी की गई. अब वे पूरी तरह ठीक हैं.
मो. शमी ने बताया कि वह रायपुर की एक ट्रैवल कंपनी की बस चलाते हैं. पिछले 25 सालों में वे दर्जनों नई बसों को इंदौर से डाला बनावकर लाते रहे हैं. पर 24 मार्च को जो हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ था. जगदलपुर कोंडागांव रूट पर एक पुलिया के पास उनकी लंबी बस का पिछला पहिया सड़क किनारे की कंक्रीट से टकरा गया. पिछली तरफ का एक सेट पहिया टेढ़ा हो गया. उन्होंने सभी सवारियों को दूसरी गाड़ियों से रवाना कर दिया. दूसरे दिन सुबह वे एक मैकेनिक को लेकर गाड़ी ठीक करवाने पहुंचे. मैकेनिक ने अपना जैक रास्ते में कहीं गिरा दिया. मजबूरी में उन्होंने जुगाड़ बनाकर चक्का खोलने की कोशिश की.
शमी ने बताया कि एक जैक लगा था. दूसरे जैक के लिए जुगाड़ बनाया गया. पाना फंसाकर एक छोटा जैक लगाया गया. पर जैसे ही गाड़ी को आगे पीछे किया पाना हट गया और बस नीचे आ गई और वे नीचे फंस गए. यह एक 13 मीटर लंबी लक्जरी बस थी. किसी तरह उन्हें खींचकर निकाला गया.
पहले उन्हें कोंडागांव अस्पताल ले जाया गया जहां एक्स-रे में कुछ भी समझ में नहीं आया. रात को 12 बजे उन्हें रायपुर एम्स शिफ्ट किया गया. वहां डाक्टरों ने बताया कि मामूली चोट है, आराम करने से ठीक हो जाएगा. इसके बाद वे भिलाई के एक मेडिकल कालेज में भर्ती हो गए. चार दिन रहने के बाद भी कोई राहत नहीं मिली. तब किसी ने हाइटेक के न्यूरो सर्जरी विभाग के बारे में बताया. अंततः वे यहां पहुंचे.
हाइटेक के न्यूरसर्जन डॉ दीपक बंसल ने बताया कि दरअसल शमी की रीढ़ में फ्रैक्चर हो गया था जिसके कारण वे हिल डुल नहीं पा रहे थे. संभवतः इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं गया था. उनकी सर्जरी कर रीढ़ को दुरुस्त कर दिया गया. अब शमी बिल्कुल ठीक हैं. वे आराम से पालथी मारकर बैठ पा रहे हैं. चलना फिरना भी शुरू हो गया है. फिलहाल उन्हें कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है. वे जल्द ही काम पर लौट पाएंगे.

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