Button battery extracted from digestive tract

बच्चे ने निगल ली थी बटन बैटरी, यह हो सकता था उसके साथ

भिलाई। घड़ी और कैलकुलेटर से निकलने वाली छोटी सी बटन जैसी बैटरी देखने में काफी खूबसूरत होती है. इसे फेंकने का मन नहीं होता. इस बालक के साथ भी ऐसा ही हुई. वह उसे हाथ में लेकर उलटता पलटता रहा और फिर मुंह में रख लिया. धोखे से बैटरी उसके पेट में चली गई. पहले तो उसे इसकी गंभीरता का अहसास नहीं हुआ पर जब घर वालों को पता लगा तो उसे तत्काल हाइटेक अस्पताल लाया गया और वह एक बड़ी मुसीबत में फंसने से बच गया.
हाइटेक सुपरस्पेशालिटी हॉस्पिटल में बच्चे के पेट से बैटरी को सुरक्षित बाहर निकालने वाले गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ आशीष देवांगन ने बताया कि अच्छा हुआ बच्चे को तत्काल अस्पताल ले आया गया. एंडोस्कोप के विशेष उपकरणों की मदद से कुछ ही मिनटों में बैटरी निकाल दी गई. बैटरी अभी लीक नहीं हुई थी. बैटरी न केवल लीक हो सकती थी बल्कि पेट में फट भी सकती थी.
डॉ देवांगन ने बताया कि बैटरी को जब हम किसी उपकरण से निकालते हैं तब भी उसमें कुछ तो जान बाकी होती है. इसका मतलब यही होता है कि उसके भीतर रासायनिक क्रिया चल रही होती है. लार के सम्पर्क में आने पर बैटरी लीक हो सकती है या फट सकती है. इससे रासायनिक चोट का खतरा बन जाता है. पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से में अगर बैटरी खुल जाती या फट जाती तो वहां पाचन मार्ग की दीवार पर छेद कर सकती है. ऐसी स्थिति में इलाज बेहद मुश्किल हो जाता है. इसलिए आदर्श स्थिति में बैटरी निगल जाने पर दो घंटे के भीतर उसे निकाल देना चाहिए.

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