यह है विकसित देशों में बच्चों का हाल

bull fight, childrenनई दिल्ली। पश्चिम को विकसित मानने वालों के लिए एक चौंकाने वाली खबर है। दुनिया का सबसे खतरनाक खेल माने जाने वाले बुल फाइट के लिए मेक्सिको में छह साल की उम्र से बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती है। इनमें से कई बच्चे अपनी जान गंवा बैठते हैं जबकि गंभीर चोटों की वजह से कई बच्चे जीवन भर अपंगता झेलने के लिए विवश हो जाते हैं। हालांकि बुल फाइटिंग के लिए मशहूर स्पेन में 16 साल से कम उम्र के बच्चों को मेटाडोर नहीं बनने दिया जाता। मेटाडोर सांड को उकसाकर उसके साथ लडऩे वाले को कहते हैं। more
बच्चों को बनाते हैं ड्रग म्यूल
ड्रग म्यूल उसे कहते हैं जो ड्रग्स को देश या राज्य की सीमा के पार ले जाते हैं। इसके लिए हमारे यहां हाईस्कूल और कालेज के बच्चों तथा सेक्स वर्कर्स का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं अमेरिका समेत कई देशों में ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जो खुद भी ड्रग के लती होते हैं। बदले में सस्ते दामों या फिर फ्री ड्रग्स देने का वादा कर बच्चों से ऐसा करवाया जाता है।
विदेश में पलकर बनते हैं जासूस
अमेरिका में कुछ साल पहले रूस के एक स्पाई रिंग का खुलासा हुआ था। पता चला कि कई जासूस अपने बच्चों को इसी काम के लिए बचपन से ट्रेन कर रहें हैं। वो बच्चों को अपनी ही जगह पर भरने के लिए अमेरिका के बढिय़ा स्कूलों में नए नाम और पहचान के साथ बचपन से ही स्किल्ड बनाने में लग जाते हैं। कई भाषाओं पर पकड़ और अन्य जासूसी बातें और चालें वे अमरीका में ही रहकर सीखते थे और फिर बड़ा होने के बाद अपने पिता या मां का स्थान लेकर अपने देश के लिए काम करने लगते हैं।
मां ने की चोरी तो बेटी बनी दासी
ewe, forced into sex slaveryदक्षिण अफ्रीका के घाना में एक अजीब सी परम्परा है। यहां चोरी करते या हत्या के अपराध में पकड़े जाने पर अपनी बेटी मंदिर को दान करनी होती है। त्रोकोसी परंपरा के तहत ईव जनजाति की किशोर लड़कियों को पुरोहितों के हवाले कर दिया जाता है जहां उनका जमकर यौन शोषण होता है। वे भगवान के नाम पर बच्चे पैदा करती जाती हैं। उनके बच्चों को भी पुरोहित अपना दास बना लेते हैं। अब हाल ये है कि कई लड़कियां कई पुश्तों से यौन बंधक बने रहने को मजूबर हैं। उन्हें याद भी नहीं कि उनके मां पर ऐसा क्या इल्जाम लगा होगा कि उन्हें भी पुश्त दर पुश्त ऐसा बनना पड़ रहा है।
बच्चों को बनाते हैं योद्धा
विश्व में ऐसे कई देश है जहां छोटे बच्चों को बचपन से ही युद्घ के लिए तैयार किया जाता है। आज की तारीख में ऐसे लगभग दो लाख बच्चे हैं जिन्हें मध्य अफ्रीकी देशों, म्यांमार, अफगानिस्तान, बाहरेन और मिडिल ईस्ट में सेना में भर्ती कर दिया जाता है। बचपन से ही कई तरह के असलहे और अन्य चीजों के साथ वो ना सिर्फ अपनी जान को खतरे में डालते हैं बल्कि अपनी सोच को भी पूरी तरह से बदल लेते हैं।

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