अपोलो बीएसआर ने दिया इजाबुल को नया जीवन
सिर में था बड़ा सा ट्यूमर, न्यूनतम शुल्क पर हुआ इलाज
भिलाई। यह कहानी पश्चिम बंगाल के एक ऐसे युवक की है जिसने आजीविका के लिए दूर-दूर की खाक छानी है। एक छोटा सा परिवार भी बनाया पर जैसे ही यह पता चला कि सिर में एक बड़ा सा ट्यूमर हो गया है तो पैरों तले की जमीन खिसक गई। ऐसे समय में मददगार बनकर आया अपोलो बीएसआर अस्पताल का प्रबंधन। न केवल जान बची बल्कि अब वह फिर पहले की ही तरह काम कर रहा है। इजाबुल शेख का जन्म पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में हुआ। रोजी रोटी की तलाश में वह मुम्बई जा पहुंचा और अंधेरी वेस्ट के एक होटल में शेफ का काम सीखने लगा। मामूली वेतन मिलता था पर पैरों तले जमीन आ चुकी थी। फिर शादी हुई और दो बच्चे भी हो गए।तीन साल पहले इजाबुल भिलाई आ गया। यहां जुनवानी रोड पर स्थित ब्लूडोर कैफे में उसे शेफ का काम मिल गया। पर साल बीतने से पहले ही उसे एक नई परेशानी ने जकड़ लिया। उसे एकाएक सिर में असहनीय पीड़ा होने लगी। जब भी दर्द होता वह छटपटाने लगता। पहले तो उसने खुद ही सिरदर्द की गोलियां लेकर दर्द का मुकाबला करने की कोशिश की पर बाद में जब दर्द बर्दाश्त से बाहर हो गया तो उसने अपोलो बीएसआर में अपनी जांच करवाई। सीटी स्कैन में पता लगा कि उसके सिर में एक लगभग 250 ग्राम का ट्यूमर है। इलाज जरूरी था पर पास में पैसे भी नहीं थे। उन्होंने अपनी पूरी समस्या पहले ही अस्पताल प्रबंधन के सामने रख दी। रास्ता निकाला गया और फिर आपरेशन कर दिया गया।
इजाबुल ने बताया कि इसी साल फरवरी न्यूरो सर्जन डॉ लवलेश राठौर ने उसका आपरेशन कर दिया गया और लगभग 18 दिन अस्पताल में रहने के बाद उसकी छुट्टी कर दी गई। इजाबुल ने बताया कि पैसे वह किस्तों में अपने वेतन से कटवा रहा है। वह काम पर लौट आया है। अब उसे किसी तरह की परेशानी नहीं है। इजाबुल हंसते हुए बताता है कि बस सिर पर बाल नहीं हैं, उसमें थोड़ा वक्त लगेगा पर सिर में अब कोई दर्द नहीं है। परिवार भी खुश है।
एनजीओ भी कर सकते हैं मदद
उल्लेखनीय है कि अरविन्द जैन एवं उनके परिवार द्वारा संचालित एनजीओ दिव्य ज्योति चैरिटी भी कुछ मामलों में मरीजों की मदद करने में अपोलो बीएसआर अस्पताल का सहयोग करता है।