आदिकाल से चला आ रहा नवाचार : डा. त्रिपाठी

श्री शंकराचार्य महाविद्यालय में राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न
shankaracharya-college-bhil भिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के आईक्यूएसी, नैक द्वारा प्रायोजित सीखने, सिखाने एवं मूल्यांकन में नवाचार पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न हो गया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि दुर्ग विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. एसके त्रिपाठी, आयोजकीय अतिथि सेठ आरसीएस कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. डीएन सूर्यवंशी तथा विशेष अतिथि डॉ. बी.एस. पोन्मुदिराज उप. सलाहकार नैक, बैगलोर एवं डॉ. आर.पी. अग्रवाल कार्यक्रम समन्यवक एनएसएस दुर्ग विश्वविद्यालय, श्रीमती जया मिश्रा उपाध्यक्ष श्री गंगाजली शिक्षण समिति मंच पर आसीन थे। jaya-mishra-bhilaiमुख्य अतिथि डा. एसके त्रिपाठी ने कहा कि दो दिवसों में विषय से संबंधित काफी जानकारी प्राप्त हुई होगी। इनोवेशन की कोई सीमा नहीं है यह पूर्वजों के समय से होता आ रहा है। मैं सभी शिक्षकों से कहना चाहूंगा कि जो भी शिक्षा से संबंधित समस्या है उसका निवारण हमें ही करना है। शिक्षकों को विश्वविद्यालय का सहयोग छात्रहित में करना चाहिए तथा उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य पूरी गंभीरता के साथ करना चाहिए।
डॉ. डी.एन. सूर्यवंशी ने कहा कि षिक्षक राष्ट्र का निर्माता, रीढ़ की हड्डी एवं राष्ट्र की प्रगति में सहायक होता है। व्यक्ति की प्रथम पाठशाला परिवार है, प्रथम शिक्षक माँ को माना गया है। शिक्षा केवल जानकारी देना नहीं है शिक्षा भावनात्मक एवं संस्कारात्मक होनी चाहिए ताकि राष्ट्र का सही दिशा में विकास हो सके।
विशेष अतिथि डॉ. बी.एस. पोन्मुदिराज ने नैक की बारिकियों से अवगत कराते हुए कहा कि आने वाले समय में सभी महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों को नैक का ग्रेड लेना अनिवार्य हो जायेगा। पूरे देश में विश्वविद्यालय और कॉलेजो को प्राप्त रैकिंग पर मंथन करते हुए अपने व्यवस्था में सुधार लाने कि आवश्यकता है।
विशेष अतिथि डॉ. आर.पी. अग्रवाल ने कहा कि बहुत लंबे समय से इस पर चर्चा चल रही है और हम इस क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहे है। रामचरित मानस में भी टिचिंग एण्ड लर्निग के लिए प्रयोग किया गया। आज भी इस पर कार्य चल रहा है कि कैसे इनोवेशन किया जाये जो छात्रों के लिए उपयोगी हो सके। प्रयास ऐसा किया जा रहा है कि बच्चों को रोचक तरीके से अध्ययन कराया जा सके।
श्रीमती जया मिश्रा ने कहा कि इनोवेशन की कोई सीमा नहीं होती। बच्चे को कैसे सिखाया जाये कि वो अपना नॉलेज का उपयोग कैसे करे। इनोवेशन हमारे अंदर होती है। उसे बाहर निकालना है।
अति. निदेशक डॉ. जे.दुर्गा प्रसाद रॉव ने संयोजकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनका कार्यक्रम बेहद सफल रहा और इस सम्मेलन में 127 पंजीयन हुए। इस सम्मेलन के सार (निष्कर्ष) से नि:संदेह हम सब लाभान्वित होगे।
प्राचार्या डॉ. रक्षा सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह प्रोग्राम बहुत ऊचाईयों तक गया है। क्यों कि यहा न केवल शिक्षकों ने बल्कि विद्यार्थियों ने भी सीखा कि उन्हें कक्षा के पहले कैसे तैयारी करनी है।
आज द्वितीय दिवस के चार तकनीकि सत्रों में भिलाई महिला महाविद्यालय की शिक्षा विभाग विभागाध्यक्ष डॉ. मोहना सुशान्त पंडित, श्रीमती नीतु साहू, अमेटी वि.वि. रायपुर के समीर जायसवाल, शंकराचार्य महाविद्यालय एम.ए चतुर्थ सेम. का छात्र आशीष ताम्रकार एवं विभिन्न राज्यों से आये प्रतिभागियों ने अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अन्य महाविद्यालय के प्राध्यापक गण, स्थानीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण, मीडियाकर्मी एवं बडी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित थे। समापन समारोह का संचालन डॉ. श्रद्धा मिश्रा एवं डॉ. राहुल मेने ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम राष्ट्रीय गीत के साथ संपन्न हुआ।

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