पहले कैंसर को दिया मात, अब ओलंपिक जीतने की तैयारी

पहले कैंसर को दिया मात, अब ओलंपिक जीतने की तैयारी रायपुर। राजधानी की ये लड़की बहादुरी में किसी लड़के से कम नहीं है। मैदान में ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को मात देकर फिर से रेसलिंग के लिए तैयार हैं। यह कहानी है प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाली भारती की।रायपुर। राजधानी की ये लड़की बहादुरी में किसी लड़के से कम नहीं है। मैदान में ही नहीं, बल्कि कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी को मात देकर फिर से रेसलिंग के लिए तैयार हैं। यह कहानी है प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाली भारती की। जिस तरह से भारत के क्रिकेटर युवराज सिंह कैंसर से जंग जीतकर मैदान में उतरे, उसी तरह दो वर्ष बाद कैंसर को मात देकर भारती भी रेसलिंग के मैदान में उतरी हैं। भारती को महज 15 वर्ष की उम्र में ब्रेन कैंसर हो गया था। अब वे बड़े-बड़े खिलाडिय़ों को हराने के लिए तैयार हैं। भारती स्कूल गेम्स रेसलिंग में स्टेट लेवल में दूसरे स्थान पर रही हैं। पहले स्थान में नहीं आ पाने की वजह से उन्हें नेशनल गेम्स में खेलने का मौका नहीं मिला था। अब भारती की इच्छा है कि पहले नेशनल गेम्स और उसके बाद भारत के लिए ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर लाए।
भारती ने बताया कि 5 जुलाई 2015 में अचानक से उनके सिर में दर्द हुआ। डॉक्टर को दिखाने के बाद पता चला कि ब्रेन कैंसर है। डॉक्टरों ने भी दो साल तक खेलों से दूर रहने कहा था। अब दो साल बाद 2017 में एक बार फिर अखाड़े में उतरीं और जौहर दिखा रही हैं। भारती ने महज 8 वर्ष की उम्र में ही रेसलिंग शुरू कर दी थी।
पूरा परिवार पहलवानों का
भारती के घर में उनके दादा जी, पिता जी और दो भाई हैं, जो सभी रेसलर हैं। सब को देखकर बचपन से ही भारती रेसलिंग में अपना करियर बनाना चाहती थी।

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