Short Story : जन्मदिन का तोहफा

निधि सिन्हा की कलम से
ट्रिन… ट्रिन…
‘सवेरे सवेरे किसका फोन आ गया?’
‘हैल्लो …’
‘नमस्ते बहनजी, मैं शुभी की मम्मी बोल रही हूं। आज शुभी का जन्मदिन है। मैं सोच रही थी सब एकसाथ मिलकर मनाएं।’
‘ऐसा है बहन जी! हमारे यहाँ न मनाते बहुओं का जन्मदिन। और मैं तो कतई न करने की नई रीत।’ कहकर शुभी की सास ने बिना उत्तर की प्रतीक्षा किये फोन काट दिया, और बड़बड़ाती हुई अपने कमरे में चली गई।
शुभी भी नम आंखों से ठंडी हो चुकी चाय को गरम करने रसोई की तरफ चल दी।
‘पता नहीं क्या चिढ़ है इन्हें मुझसे। हर समय सुनाती रहती हैं। कुछ भी कर लूं कभी खुश ही नही होतीं।’ दुखी होकर शुभी पति से बोली…
‘क्या हो गया। माँ हैं दो चार बातें कह दीं तो चिपक गईं तुम्हारे। देखो तुम ये सब मुझे मत बताया करो। जाओ जल्दी से लंच पैक करो। देर हो रही है ऑफिस के लिए।’
बेबस सी शुभी पति पर गहरी नजर डाल रसोई की ओर मुड़ ली।
शादी को पांच साल बीत चले थे। शुभी की गोद सूनी ही थी। अब तो उस पर बांझ का ठप्पा भी लग गया था। सास का व्यवहार दिनोदिन और रूखा होता जा रहा था। धीरे- धीरे पति से भी दूरियां बढऩे लगीं। रोज- रोज की खटपट से तंग आई शुभी को जिंदगी अब बोझ लगने लगी थी।
एक दिन उसने एक निश्चय किया और थोड़े प्रयास के बाद अपने आसपास के गरीब बच्चों को बुलाकर पढ़ाने लगी। धीरे -धीरे बच्चों की संख्या बढऩे लगी, साथ ही शुभी की आस भी।
फिर एक दिन …
‘ये क्या घर को धर्मशाला बना रखा है। भगाओ इन्हें।’
सासू माँ ने आग उगली। शांत शुभी ने फिर रास्ता निकाल लिया। अब घर के पास ही धर्मशाला के बरामदे में बच्चों को पढ़ाने लगी। कुलच्छनी बहू खुद को भूल बच्चों के बीच प्यारी दीदी बन जाती। अब उसे जीने की राह मिल गई थी।
आज फिर शुभी का जन्मदिन था। मन्दिर में प्रसाद लगा वो धर्मशाला चल दी।
‘अरे! आज कोई बच्चा नहीं आया? ऐसे कैसे हो सकता है?’ अपनेआप में बुदबुदाती शुभी सिर पकड़ कर कुर्सी पर बैठ गई।
तभी एकाएक ‘हैप्पी बर्थडे दीदी’ का स्वर सुनकर आश्चर्य से उसकी आंखें खुली रह गईं। उसके चारों ओर बच्चे खड़े थे हाथों में केक लिए… आंखें भर आईं उसकी। गदगद हृदय से बच्चों को गले लगा लिया।
एक वे जिनके लिए सबकुछ छोड़कर आई। सारा अपनापन, तन मन निछावर करके भी जिन्हें वो अपना न बना सकी। और दूसरे ये बच्चे जिन्हें चुटकीभर स्नेह ही तो दिया था। इनके हृदय में बस गई… तुलना करती शुभी घर पहुंच गई।
शादी के बाद आज उसने अपना पहला जन्मदिन जी भरकर जिया था।
Sketch courtesy : Asha Sudhaker Shenoy #story#, #Nidhi Sinha#