स्कूल से लौटकर पिता के साथ निकलती है भीख मांगने

After school she takes her handicapped father to beg for almsभिलाई। यह कोई अकेला चेहरा नहीं है। ऐसे सैकड़ों बेटियां हैं जो आंखों में सुखद भविष्य का सपना लिए शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। घर लौटते ही या तो वो कामवाली बन जाती है या फिर भीख मांगकर घर खर्च में हाथ बंटाने को मजबूर। कुमारी बाई भी यही करती है। 7वीं की छात्रा कुमारी घर लौटती है तो अपाहिज पिता को रिक्शे पर बैठा कर भीख मांगने निकल पड़ती है। यूनिफार्म के अलावा उसके पास कोई ढंग का कपड़ा तक नहीं है। गले में लटकते स्कूल आईकार्ड को निकालना तक याद नहीं रहता।64 साल के अंजोर दास फालिज का शिकार हो गए थे। एक पैर टूट गया। जांघ में रॉड डला है। वो चलने फिरने से लाचार हैं। बहुत कोशिश की पर विकलांगता प्रमाणपत्र नहीं बन पाया। जिससे भी मिला उसने अपना विजिटिंग कार्ड पकड़ा दिया। पाकेट में आधा दर्जन विजिटिंग कार्ड लिए वो घूम रहे हैं। आधार क्रमांक 551035124857 निवासी एच-5, राधिका नगर। पत्नी मथुरा बाई दो चार घरों में साफ-सफाई का काम करती है। बीपीएल कार्ड के सहारे किसी तरह गुजारा चल रहा है। अंजोर दास को अफसोस है कि वह अपनी बेटी और बीवी की कोई मदद नहीं कर पाते।

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