सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में 54वां महायज्ञ एवं विशाल भंडारा 18 मार्च को

भिलाई। खुर्सीपार जोन-2 स्थित सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में 54वां महायज्ञ एवं विशाल भंडारा का आयोजन 18 मार्च रविवार को किया जा रहा है। इसकी तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं। भगत हरगोपाल मस्ताना जी, संचालन समिति के अध्यक्ष रमेश सूरी, महासचिव कांतीलाल एवं कोषाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि महोत्सव का प्रारंभ 16 मार्च को हो जाएगा। इस दिन विशाल झण्डा फेरी निकलेगी जो मंदिर से निकलर राजमार्ग से होते हुए अम्बेडकर चौक, जलेबी चौक होती हुई लौटेगी। इसके साथ ही महायज्ञ प्रारंभ हो जाएगा जिसकी पूर्णाहुति 19 मार्च को रात्रि 7 बजे होगी।भिलाई। खुर्सीपार जोन-2 स्थित सिद्ध बाबा बालकनाथ मंदिर में 54वां महायज्ञ एवं विशाल भंडारा का आयोजन 18 मार्च रविवार को किया जा रहा है। इसकी तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं। भगत हरगोपाल मस्ताना जी, संचालन समिति के अध्यक्ष रमेश सूरी, महासचिव कांतीलाल एवं कोषाध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने बताया कि महोत्सव का प्रारंभ 16 मार्च को हो जाएगा। इस दिन विशाल झण्डा फेरी निकलेगी जो मंदिर से निकलर राजमार्ग से होते हुए अम्बेडकर चौक, जलेबी चौक होती हुई लौटेगी। इसके साथ ही महायज्ञ प्रारंभ हो जाएगा जिसकी पूर्णाहुति 19 मार्च को रात्रि 7 बजे होगी।उन्होंने बताया कि सभी धार्मिक कार्य श्रीश्री 1008 महन्त श्री राजेन्द्र गिरी जी के मार्गदर्शन में सम्पन्न होंगे। इस बीच रविवार 18 मार्च को चंडीगढ़ से पधारे विजय रतन शर्मा का भजन होगा। भजन दोपहर 11:30 बजे प्रारंभ होगा तथा देर रात तक चलता रहेगा।
संचालन समिति के अध्यक्ष रमेश सूरी ने बताया कि पांच दशक से भी अधिक समय से यह मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र बना हुआ है। यह एक सिद्ध पीठ है जहां बाबा छठवें रुद्र बाबा बालकनाथ की धूनी और अखण्ड ज्योति जलती रहती है।
पिछले कुछ वर्षों में मंदिर की उत्तरोत्तर प्रगति होती चली गई। अब मंदिर के पास विशाल प्रांगण है। अनेक देवी देवताओं के भव्य मंदिर बन चुके हैं। मंदिर के ऊपर बाबा की गुफा है जो सात मंजिली है। भगत हरगोपाल मस्ताना जी प्रतिदिन वहां आरती के लिए जाते हैं।
भगत मस्ताना ने बताया कि 1960 के दशक में ऊना हिमाचल प्रदेश के शाहतलाई स्थित बाबा बालकनाथ के धाम से भगत लोगों का यहां आगमन हुआ। उन दिनों यह इलाका जंगल जैसा था। भगत को यहां सिद्ध शक्ति का आभास हुआ और उन्होंने यहां चिमटा गाड़ दिया। एक छोटे से झोपड़े में मूर्ति रखकर भजन कीर्तन प्रारंभ हो गया।
श्री सूरी ने बताया कि अब भी प्रत्येक रविवार को यहां कीर्तन होता है। लोग दूर दूर से उसमें शामिल होने के लिए आते हैं। बेमेतरा के एक भक्त भी प्रत्येक रविवार को बिना नागा आते हैं। पिछले 10 वर्षों से यहां महीने में दो बार भण्डारा होता है। पर मार्च में होने वाला यह भण्डारा सबसे बड़ा होता है जिसमें उड़ीसा से भी भक्त आते हैं। यहां लगभग 50 हजार लोग प्रसाद पाते हैं।

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