बालिगों में सहमति से समलैंगिक संबंध अपराध नहीं : सुप्रीम कोर्ट

LGBT goes legal in Indiaनई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपने ऐतिहासिक फैसले में आईपीसी की धारा 377 के उस प्रावधान को रद्द कर दिया, जिसके तहत बालिगों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंध भी अपराध था। सभी जजों ने अलग-अलग फैसले सुनाए, हालांकि सभी के फैसले एकमत से थे। सर्वोच्च कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा इतने सालों तक समान अधिकार से वंचित करने के लिए समाज को एलजीबीटी समुदाय से माफी मांगनी चाहिए। चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए विलियम शेक्सपियर को भी कोट किया। कोर्ट में फैसला सुनाए जाते वक्त वहां मौजूद तमाम लोग भावुक हो गए, कुछ तो रोने भी लगे।
सबसे पहले पहले चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर का लिखा हुआ फैसला पढ़ा गया। सीजेआई ने कहा कि व्यक्तिगत पसंद को इजाजत दी जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि सबको समान अधिकार सुनिश्चित करने की जरूरत है। समाज को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए।
सीजेआई ने कहा कि हर बादल में इंद्रधनुष खोजा जाना चाहिए। बता दें कि इंद्रधनुषी झंडा एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक है। सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को मनमाना बताया।
जजों ने कहा कि संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी है। जीवन का अधिकार मानवीय अधिकार है। इस अधिकार के बिना बाकी अधिकार औचित्यहीन हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *