श्रीशंकराचार्य महाविद्यालय में हिन्दी सप्ताह का आयोजन

SSMV celebrates Hindi Weekभिलाई। श्री शंकराचार्य महाविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा हिन्दी सप्ताह का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों में साहित्य के प्रति रूचि व लगाव जागृत करने हेतु तथा लेखन कौशल को विकसित करने की दृष्टि से प्रेमचन्द की कहानी ‘बूढ़ी काकी’ दिखाई गयी उसके पश्चात इस कहानी की समीक्षा लिखने विद्यार्थियों को कहा गया। अपने अनुभवों, भावनाओं या विचारों को कहानी के माध्यम से व्यक्त कराने हेतु ‘कहानी लेखन’ प्रतियोगिता रखी गयी। भाषण प्रतियोगिता के अन्तर्गत हिन्दी की साहित्यिक धरोहर रामचरित मानस में विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किये। साहित्य प्रश्नोत्तरी के माध्यम से रामायण, महाभारत व हिन्दी साहित्यकारों के चित्र व उनसे संबंधित प्रश्न पूछे गये। रामायाण व महाभारत महाग्रंथ काल्पनिक नही है बल्कि इसकी प्रामाणिकता को वैज्ञानिको ने सिद्ध किया है इन प्रमाणो को चलचित्र के माध्यम से विद्याथिर्यों को अवगत कराया गया। पोस्टर प्रतियोगिता में विद्याथिर्यों ने ‘विश्व-शांति’ विषय पर अपने विचारो को चित्रकला के माध्यम से उकेरा। पुस्तक पठन कार्यक्रम के तहत हिन्दी साहित्यकारों के प्रसिद्ध ई-रचनाओं तथा पुस्तकों का पठन विद्यार्थियों द्वारा किया गया उक्त समस्त गतिविधियों के लिए हिन्दी विभाग की अभिनव प्रयास की सराहना करते हुए।
महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. रक्षा सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों में रचनात्मक कौशल को विकसित करना आज की आवश्कता है। उन्होनें कहा कि महाभारत व रामायण काल्पनिक नही बल्कि इन महागं्रथों के अस्तित्व के पुख्ता प्रमाणों को कुछ वैज्ञानिकों ने खोजा है। उन वैज्ञानिकों के अनुसार इनके संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से इन महान ग्रंथों के रहस्यों को सुलझाया जा सकता है।
महाविद्यालय के अतिरिक्त निदेशक डॉ. जे. दुर्गा प्रसाद राव ने कहा कि हिन्दी का सम्मान हमें उसी तरह करना चाहिए जैसे हम अपने राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय गान का करते हैं। हिन्दी दिवस के दिन मात्र राष्ट्रीय भाषा का मान-सम्मान कर अपने कर्तव्य की इतिश्री न समझे बल्कि प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे इसे हृदय से स्वीकार कर गर्व से इसका प्रयोग करें। हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अचर्ना झा ने कहा कि इन गतिविधियों का उद्देश्य जहॉ विद्याथिर्यों को विभिन्न माध्यामों द्वारा हिन्दी की वैज्ञानिकता व सार्थकता को सिद्ध करना है। वही विद्याथिर्यों की लेखन व वक्तव्य कौशल को विकसित करना भी है। आधुनिक युग के ये विद्यार्थी हर बात का प्रमाण मांगते है अत: उनकी शंकाओं का समाधान करना हमारा दायित्व है। उक्त विभागीय गतिविधियों के सफल संचालन में श्रीमति मंजु मिश्रा, डॉ. श्रद्धा मिश्रा का तथा महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों व विद्यार्थियों का सहयोग रहा।

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