सिनेमा से कहीं ज्यादा जीवंत है थियेटर का माध्यम : पंकज सुधीर

Theater is far more powerful than movies said director Pankaj Sudhir Mishraभिलाई। बिग-बी और आमिर खान को निर्देशित कर चुके युवा निर्देशक पंकज सुधीर मिश्रा का मानना है कि सिनेमा से कहीं ज्यादा जीवंत माध्यम थियेटर है। पंकज का कहना है कि भारत सहित दुनिया भर में बदलाव लाने में सिनेमा से ज्यादा टेलीविजन और एक हद तक सोशल मीडिया ने अपनी भूमिका अदा की है। पंकज सुधीर मिश्रा सेंट थॉमस महाविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्याार्थियों के बीच ‘जनसंचार और मनोरंजन के क्षेत्र में रचनात्मकता की संभावनाएं’ विषय पर अपनी बात रख रहे थे। Director Pankaj Sudhir Mishraपंकज मूल रूप से भिलाई के हैं। भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से अपनी कलायात्रा शुरू कर उन्होंने मुंबई फिल्म जगत में अलग पहचान बनाई। दो दशक पहले फिल्मकार मणिकौल द्वारा विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यास ‘नौकर की कमीज’ पर इसी नाम से बनाई गई फिल्म में मुख्य किरदार संतू की भूमिका अदा की थी। इसके बाद से पंकज छोटे और बड़े परदे पर लगातार सक्रिय हैं।
उन्होंने ढेर सारी विज्ञापन फिल्मों, डाक्यूमेंट्री व लघु फिल्मों के निर्देशन के अलावा चर्चित शो ‘सत्यमेव जयते’ में आमिर खान और ‘कॉमेडी नाइट विथ कपिल’ में अमिताभ बच्चन को निर्देशित किया है।
कॉलेज में गेस्ट लेक्चर के दौरान पंकज ने भिलाई इप्टा से लेकर मुंबई तक के अपने सफर को साझा किया। उन्होंने बताया कि बीएसपी स्कूल सेक्टर-1 में पढ़ाई के दौरान उनका रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहता था। इसके बावजूद किसी साल परिणाम जारी होने के दिन स्कूल के एचएम एसके भटनागर ने असेंबली में टॉपर बच्चों के साथ उन्हें भी सामने बुलाया। इस घटना ने उनके अंदर और ज्यादा आत्मविश्वास भर दिया।
पंकज सुधीर मिश्रा का कॉलेज परिवार की ओर से प्रशासक जी वर्गीस रामबान ने स्वागत किया। श्री वर्गीस ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकारिता के क्षेत्र में व्यवहारिक ज्ञान की अधिक आवश्यकता होती है, इसलिए पत्रकारिता के विद्यार्थी जितना हो सके व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करें।
कॉलेज के प्राचार्य एमजी रॉयमन ने विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम करने की सीख देते हुए और ऐसे वर्कशॉप आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की प्रमुख डॉ अपर्णा घोष ने मुख्य वक्ता के साथ कॉलेज के प्रशासक व प्राचार्य का स्वागत किया।
विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए पंकज सुधीर मिश्रा ने सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान को भी महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने हर क्षेत्र में रचनात्मकता की महत्ता को समझाते हुए कहा कि एक पत्रकार को सच जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहना चाहिए तभी वह एक अच्छा पत्रकार बन पाता है।
पंकज ने कहा कि मुंबई जैसे महानगर में अपनी अलग पहचान बनाने का सफर भले ही उतार-चढ़ाव भरा रहा हो लेकिन उन्होंने अपना स्वभाव कभी नहीं बदला जो उनकी ताकत बनी। उन्होंने नाटक, सिनेमा और टेलीविजन में किए जाने वाले निर्देशन के बीच का अंतर बताते हुए सिनेमा के बजाए थियेटर को अधिक जीवंत माध्यम की उपमा दी। समूचे सत्र का संचालन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की गीतिका ब्रह्मभट्ट ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन छात्रा सबा खान ने दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *