अपेक्षा और उपेक्षा दोनों बनते हैं दुख का कारण : डॉ विनय
बोड़ेगांव। अपेक्षा और उपेक्षा दोनों ही पीड़ा के कारण हैं। हमें इनसे दूर रहकर अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। जीवन में उन्नति के लिए निष्ठा, आत्मसम्मान और समय का सदुपयोग करना जरूरी है। उक्त बातें दुर्ग जिला राष्ट्रीय सेवा योजना संयोजक डॉ विनय शर्मा ने एमजे कालेज द्वारा यहां आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय सेवा योजना शिविर के बौद्धिक सत्र में व्यक्त किये। डॉ शर्मा ने स्वामी विवेकानंद को उद्धृत करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति में आत्मसम्मान का बोध नहीं है, 33 करोड़ देवी देवता भी उसका भला नहीं कर सकते। अपने कौशल को निखारने की सतत् चेष्टा, समय का सदुपयोग, मानव मात्र की सेवा और राष्ट्र हित को सर्वोपरि रखकर ही अपनी नजरों में स्वयं को उठाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सेवा योजना का शिविर केवल घर या कालेज से कुछ दिन दूर रहना नहीं है। यहां हम अनुशीलन का पाठ पढ़ते हैं। अपनी दिनचर्या को एक नियंत्रण में बांधकर एक एक मिनट का सदुपयोग करना सीखते हैं। अपने परिसर के साथ ही हम गांव को स्वच्छ बनाने का प्रयत्न करते हैं। छोटे छोटे दलों में विभक्त होकर अलग अलग जिम्मेदारी उठाकर हम जीवन प्रबंध और नेतृत्व के गुण विकसित करते हैं। कपड़ा धोने से लेकर भोजन तैयार करने और फिर बर्तनों को साफ करने तक का कार्य स्वयं करते हैं। इससे हमारा स्वयं में विश्वास पुख्ता होता है।
इस अवसर पर कल्याण महाविद्यालय के प्राध्यापक शेषनारायण शुक्ला, एमजे कालेज के रासेयो अधिकारी डॉ जेपी कन्नौजे, शकुन्तला जलकारे, परविन्दर कौर, रासेयो के दल नायक एवं स्वयंसेवक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।