एमजे कालेज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर नृत्यनाटिकाओं का आयोजन

भिलाई। एमजे कालेज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न नृत्यनाटिकाओं के द्वारा श्रीकृष्ण के जन्म वृत्तांत को दर्शाया गया। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, शरारतों और गोपिकाओं के साथ उनके संबंध का चित्रण भी किया गया। इससे पहले नन्हे कान्हा को झूले में डालकर पूजा अर्चना की गई। कंस एवं कारागार में श्रीकृष्ण के जन्म मार्मिक प्रसंग भी प्रस्तुत किया गया।भिलाई। एमजे कालेज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न नृत्यनाटिकाओं के द्वारा श्रीकृष्ण के जन्म वृत्तांत को दर्शाया गया। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, शरारतों और गोपिकाओं के साथ उनके संबंध का चित्रण भी किया गया। इससे पहले नन्हे कान्हा को झूले में डालकर पूजा अर्चना की गई। कंस एवं कारागार में श्रीकृष्ण के जन्म मार्मिक प्रसंग भी प्रस्तुत किया गया।Sonal-Mishra-MJ-Janmashtami Kansa-2 Dance02 भिलाई। एमजे कालेज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न नृत्यनाटिकाओं के द्वारा श्रीकृष्ण के जन्म वृत्तांत को दर्शाया गया। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, शरारतों और गोपिकाओं के साथ उनके संबंध का चित्रण भी किया गया। इससे पहले नन्हे कान्हा को झूले में डालकर पूजा अर्चना की गई। कंस एवं कारागार में श्रीकृष्ण के जन्म मार्मिक प्रसंग भी प्रस्तुत किया गया।आरंभ में एमजे कालेज की निदेशक श्रीलेखा विरुलकर, प्रभारी प्राचार्य डॉ अनिल चौबे, डॉ श्वेता भाटिया, नेहा महाजन, डॉ टी कुमार, श्रीमती सी कन्नम्मल, पूर्णिमा दास, आशीष सोनी, विकास सेजपाल, आदि ने श्रीकृष्ण को झूले में डालकर उन्हें झूला झुलाया। बच्चों ने जन्माष्टमी पर गीत गाए। तत्पश्चात सांस्कृति कार्यक्रमों के तहत नृत्य एवं नृत्यनाटिकाओं का मंचन किया गया।
श्रीमती विरुलकर ने अपने संदेश में कहा कि ईश्वर ने हमें दो आंखें, दो कान, दो हाथ, दो पैर, मुंह और नाक दिये हैं। इनका सदुपयोग या दुरुपयोग करना अपने हाथ में है। यदि हम इनका सदुपयोग करेंगे और श्रीकृष्ण द्वारा दिखाए गए कर्मयोग के मार्ग का अनुसरण करेंगे तो जीवन में मंजिल का मिलना निश्चित है। यदि इन इंद्रियों का दुरुपयोग किया या इनके वश में हो गये तो सर्वनाश भी हो सकता है।
कार्यक्रम का संचालन सौरभ मण्डल एवं ममता एस राहुल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दीपक रंजन दास ने किया।भिलाई। एमजे कालेज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विभिन्न नृत्यनाटिकाओं के द्वारा श्रीकृष्ण के जन्म वृत्तांत को दर्शाया गया। इसके साथ ही श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, शरारतों और गोपिकाओं के साथ उनके संबंध का चित्रण भी किया गया। इससे पहले नन्हे कान्हा को झूले में डालकर पूजा अर्चना की गई। कंस एवं कारागार में श्रीकृष्ण के जन्म मार्मिक प्रसंग भी प्रस्तुत किया गया।

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