लक्ष्य विहीन अध्ययन ही विद्यार्थियों के पतन का प्रमुख कारण – डॉ. आरएन सिंह

दुर्ग। लक्ष्य विहीन अध्ययन ही विद्यार्थियों के पतन का प्रमुख कारण है। विद्यार्थियों को महाविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर सफलता अवश्य प्राप्त होगी। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने आज महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये। डॉ. सिंह स्नातक स्तर पर नव प्रवेशित प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों हेतु आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे।दुर्ग। लक्ष्य विहीन अध्ययन ही विद्यार्थियों के पतन का प्रमुख कारण है। विद्यार्थियों को महाविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर सफलता अवश्य प्राप्त होगी। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने आज महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये। डॉ. सिंह स्नातक स्तर पर नव प्रवेशित प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों हेतु आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे। दुर्ग। लक्ष्य विहीन अध्ययन ही विद्यार्थियों के पतन का प्रमुख कारण है। विद्यार्थियों को महाविद्यालय में प्रवेश लेने के साथ ही अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेना चाहिए। ऐसा करने पर सफलता अवश्य प्राप्त होगी। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने आज महाविद्यालय के रवीन्द्रनाथ टैगोर सभागार में व्यक्त किये। डॉ. सिंह स्नातक स्तर पर नव प्रवेशित प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों हेतु आयोजित इंडक्शन प्रोग्राम को संबोधित कर रहे थे।डॉ. सिंह ने कहा कि विद्यार्थी सर्वप्रथम अपने अस्तित्व को पहचानते हुए अपने अंदर छुपी दक्षता का मूल्यांकन करें। स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा करते हुए लक्ष्य प्राप्ति की ओर आगे बढ़े। इससे पूर्व इंडक्शन प्रोग्राम की उपयोगिता एवं उसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम के संचालक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने पावर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से विद्यार्थियों को महाविद्यालय में उपलब्ध संसाधनों एवं उनके विस्तृत उपयोग संबंधी जानकारी प्रदान की। वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. एम.ए. सिद्दीकी ने शिष्ट आचरण, माता-पिता एवं शिक्षकों का सम्मान करना तथा ईमानदारी पूर्वक अध्ययन को सफलता का मूलमंत्र बताते हुए विद्याथिर्यों से आव्हान किया कि वे उपरोक्त बिंदुओं का अवष्य पालन करें। आईक्यूएसी की संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने अपने संबोधन में विद्याथिर्यों को प्रत्येक सैध्दांतिक एवं प्रायोगिक कक्षाओं में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहकर अपनी जिज्ञासाओं के समाधान की सलाह दी। महाविद्यालय के परिवेष में स्वयं को ढाल कर अच्छा परीक्षा परिणाम लाने हेतु नियमित अध्ययन तथा ग्रंथालय का समुचित उपयोग करने की सलाह भी डॉ. सलूजा ने दी।
रसायन विभाग की प्रमुख तथा यूजीसी सेल की संयोजक डॉ. अनुपमा अस्थाना ने अपने वक्तव्य में छात्र-छात्राओं को शालीन व्यवहार तथा मर्यादित वेषभूषा में महाविद्यालय आने का आग्रह किया। डॉ. अस्थाना ने कहा कि विद्याथिर्यों को होने वाली किसी भी परेषानी के निराकरण हेतु महाविद्यालय प्रषासन प्रतिबध्द है। भूगभर्षास्त्र के विभागाध्यक्ष डॉ. एस.डी. देषमुख ने तनाव मुक्त जीवन पर बल देते हुए विद्याथिर्यों को तनाव मुक्त करने संबंधी एक एक्सरसाइज करवायी। महाविद्यालय ग्रंथालय के ग्रंथपाल विनोद अहिरवार ने उपस्थित विद्याथिर्यों को ग्रंथालय के उपयोग, पुस्तकों का आदान-प्रदान, रीडिंग रूम का उपयोग, पूर्णत: कम्प्यूटरीकृत ग्रंथालय को उपयोग करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां आदि से अवगत कराया। महाविद्यालय में ग्रंथालय में प्रति सप्ताह आयोजित होने वाली क्वीज स्पर्धा की जानकारी भी श्री अहिरवार ने विद्याथिर्यों को दी।
वनस्पति शास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. सतीष सेन तथा एन.एस.एस अधिकारी प्रो. जनेन्द्र कुमार दीवान ने महाविद्यालय में उपलब्ध एन.एस.एस. इकाई में प्रवेष तथा वर्षभर चलने वाले रचनात्मक कार्यक्रमों की जानकारी दी। उपस्थित विद्याथिर्यों को एन.सी.सी., यूथ रेडक्रास आदि इकाईयों से संबंधित जानकारी भी प्रदान की गयी। अगामी 30 अगस्त तक चलने वाले इस इंडक्षन कार्यक्रम में स्नातक के अलावा स्नातकोत्तर स्तर पर प्रथम सेमेस्टर में प्रवेष लेने वाले विद्याथिर्यों को भी समस्त जानकारी प्रदान की जावेगी।

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