Theodora Mavrova comes to India to learn Ashtang Yoga

अष्टांग योग सीखने आई बुल्गारिया की बेटी थियोडोरा

भिलाई। क्या कोई कल्पना कर सकता है कि एक युवती किसी ऐसे देश की यात्रा कर सकती है जहां की कोई भी भाषा उसे न आती हो। थियोडोरा मावरोवा को बुल्गारियाई भाषा के अलावा कोई और भाषा नहीं आती। किसी तरह अंग्रेजी में काम चला लेती हैं। पर अष्टांग योग सीखने की ललक उन्हें भारत की धरती पर ले आती है और वह भिलाई से इसकी शुरुआत करती है। वे स्वामी श्रीस्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय हुडको भिलाई में आयोजित योग कार्यशाला में शामिल होती हैं और उसे अपनी भाषा में संबोधित भी करती हैं।Theodora-Bulgaria-Yoga Theodora Mavrova at SSSSMV Bhilaiथियोडोरा से इसी कार्यशाला से पहले मुलाकात हो जाती है। थियोडोरा बताती हैं कि बुल्गारिया में योग काफी लोकप्रिय है और कालेजों से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर तक इसके अध्ययन, शिक्षण एवं प्रशिक्षण की व्यवस्था है। वे स्वयं पिछले 10 सालों से योग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
अपनी भारत यात्रा को बेहद रोमांचक बताते हुए वे कहती हैं कि यहां का मौसम उन्हें अच्छा लगा। वे आज ही रायपुर के हवाई अड्डे पर उतरी हैं और सीधे स्वरूपानंद महाविद्यालय के योग शिविर में पहुंच गई हैं। उन्होंने बताया कि योग को पश्चिमी देश बेहद गंभीरता से लेते हैं और इसे फिजिकल तथा मेन्टल वेलनेस के लिए अनिवार्य मानते हैं। इसलिए उन्होंने योग की धरती भारत आने का फैसला किया। उनकी इच्छा अष्टांग योग में महारत हासिल करने की है। भाषा की बाधा को वे ही किसी न किसी तरह पार कर ही लेंगी। उन्होंने नमस्ते का जवाब नमस्ते से देकर इसकी शुरुआत भी कर दी।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला, स्वावलंबी योग प्रशिक्षण केन्द्र के संस्थापक आनंद सिंह, हेल्थ एंड एजुकेशन एक्टिविस्ट प्रिंस पाण्डेय, डॉ निहारिका देवांगन उपस्थित थे।

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