महिला महाविद्यालय के बीएड स्टूडेन्ट्स पहुंचे भोरमदेव, जाना इतिहास
भिलाई। भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित भिलाई महिला महाविद्यालय के बी.एड. फर्स्ट तथा थर्ड सेमेस्टर के स्टूडेंट्स तथा फैकल्टी मेम्बर्स के 150 सदस्यीय दल ने कबीरधाम जिले में स्थित भोरमदेव का शैक्षणिक भ्रमण किया। मैकल पर्वतशृंखला से घिरी हरी-भरी घाटी में प्रकृति की अनुपम छटा में बने इस मंदिर की बनावट खजुराहो तथा कोणार्क मंदिर के समान होने के कारण इस इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। बच्चों ने मंदिर के वास्तुशिल्प एवं इतिहास के बारे में जानकारी भी प्राप्त की।
मंदिर की उत्कृष्ट नक्काशी तथा प्रस्तरखण्डों से निर्मित इस विशाल मंदिर को देखकर विद्यार्थी तथा शिक्षक दोनों ही चमत्कृत हुए। कलचुरी काल में निर्मित यह मंदिर नागर शैली की वास्तुकला का एक अनुपम उदाहरण है। मंदिर में देवताओं और मानव आकृतियों की उत्कृष्ट नक्काशी के साथ मूर्तिकला प्रदर्शित की गई है। भोरमदेव मंदिर में शिव, गणेश सहित विष्णु के दस अवतारों को प्रदर्शित करती पत्थरों पर उकेरी गई प्रतिमायें हैं। गर्भ गृह में मुख्य प्रतिमा शिवलिंग है।
बी.एड. छात्रायें स्थापत्य तथा वास्तु कला की इस अनूठी कारीगरी को देखकर अचंभित हो गईं। बी.एड. छात्राओं ने स्थानीय लोगों से चर्चा कर मंदिर के प्राचीन इतिहास के संबंध में जानकारी ली तथा जाना कि इस मंदिर को 11वीं शताब्दी में नागवंशी राजा गोपाल देव द्वारा बनवाया गया। गोंड राजाओं के देवता भोरमदेव थे एवं वे भगवान शिव के उपासक थे। भोरमदेव, शिवजी का ही नाम है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम भोरमदेव पड़ा। ऐसी भी मान्यता है कि चूंकि भगवान शिव का स्थानीय बोल-चाल की भाषा में भोरमदेव भी कहते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम भगवान शिव पर है।
इस एजुकेशनल विजिट के आयोजन में भिलाई महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल डॉ. संध्या मदनमोहन तथा भिलाई एजुकेशन ट्रस्ट के सचिव सुरेन्द्र गुप्ता का विशेष प्रोत्साहन तथा सहयोग रहा वहीं विजिट के सफल आयोजन में भिलाई महिला महाविद्यालय के शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मोहना सुशांत पंडित सहित सहायक प्राध्यापिकाओं श्रीमती हेमलता सिदार, नीतू साहू, भावना, सुनिशा पैट्रीक, नाजनीन बेग तथा डॉ. अनुपमा गंगराडे आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा। भिलाई महिला महाविद्यालय के शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मोहना सुशांत पंडित ने बताया कि एजुकेशनल विजिट का उद्देश्य बी.एड. कोर्स की छात्राओं को विशेष रूप से राज्य की पृष्ठभूमि, ऐतिहासिक स्थलों तथा भौगोलिक जानकारी प्रदान कराना था जिसके अंतर्गत प्रतिवर्ष कॉलेज के बी.एड. छात्राओं को शैक्षणिक भ्रमण के माध्यम से ऐसे दशर्नीय स्थलों की विजिट कराई जाती है ताकि भविष्य में शिक्षक के रूप में निभाई जाने वाली उनकी भावी भूमिका में यह अनुभव और जानकारी उपयोगी साबित हो। इससे पूर्व विगत वर्षों में बी.एड. की प्रशिक्षु छात्राओं की छ.ग. के ऐतिहासिक स्थलों में खैरागढ़, राजिम, चंपारण, मुक्तांगन जैसे स्थानों की एजुकेशनल विजिट के अलावा प्रतिवर्ष ग्रामीण क्षेत्रों पुरई, बासीन, कचांदुर, रवेली, आदि स्थानों पर सामुदायिक शिविर लगाकर छत्तीसगढ़ की ग्रामीण पृष्ठभूमि से परिचित कराया जाता रहा है।
भिलाई महिला महाविद्यालय के बी.एड. प्रशिक्षु छात्राओं के दल के सदस्यों ने इस शैक्षणिक भ्रमण को ज्ञान प्राप्ति की दृष्टि से अत्यंत ज्ञानवर्धक बताया जिसके दौरान उन्हें छ.ग. की प्राचीन सभ्यता, वास्तुकला से रूबरू होने का मौका मिला।












