विद्यार्थियों के विकास में पालक-शिक्षक संवाद की महति भूमिका : डॉ. आरएन सिंह
दुर्ग। पालक एवं शिक्षकों के बीच संवाद की विद्यार्थियों के विकास में प्रमुख भूमिका होती है। पालकों का यह दायित्व है, कि वे अपने पुत्र अथवा पुत्री के संबंध में जानकारी प्राप्त करने हेतु महाविद्यालय प्रशासन से एवं शिक्षकों से लगातार सम्पर्क स्थापित करना चाहिए। ये उद्गार शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग के टैगोर सभागार में आज महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने शिक्षक अभिभावक विद्यार्थी सम्मेलन के दौरान व्यक्त किये।
डॉ. सिंह ने उपस्थित पालकों से आग्रह किया कि वे निष्पक्ष रूप से महाविद्यालय से संबंधित अपने रचनात्मक सुझाव देवें। महाविद्यालय संबंधित किसी भी कमी को इंगित करने के पश्चात महाविद्यालय प्रशासन उस कमी को दूर करने का हर संभव प्रयास करेगा।
कार्यक्रम के आरंभ में आईक्यूएसी सदस्य डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने पालक-शिक्षक संघ एवं शिक्षक-अभिभावक-विद्यार्थी परिषद के उद्देश्य आवश्यकता एवं उपयोगिता को यूजीसी के मानदण्डों के अनुसार बताया। उन्होंने बताया कि कक्षा के पालक शिक्षक की छात्रों के प्रति जिम्मेदारी के विकेन्द्रीकरण हेतु किये गये इस सम्मेलन/आयोजन का मूल उद्देष्य विद्याथिर्यों की समस्याओं को जानना, समझना एवं उनका निराकरण करना है। महाविद्यालय प्रशासन का यह सदैव प्रयास रहता है कि विद्यार्थी अपनी निजी या सामूहिक समस्याओं की चर्चा करें एवं महाविद्यालय की गरिमा के हिसाब से छात्र के व्यक्तित्व का चहुमुखी विकास हो तथा भविष्य में वह एक श्रेष्ठ नागरिक बने।
विज्ञान समूह प्रमुख डॉ. एम.ए. सिद्दीकी सर ने उपस्थित अभिभावकों का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन से संवाद हीनता की कमी को दूर किया जा सकता है। तथा ऐसे आयोजन में विद्यार्थी निसंकोच अपनी कठिनाई/समस्याओं की चर्चा षिक्षक एवं अभिभावक से संयुक्त रूप से करते हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए पालक शिक्षक समिति की सदस्य डॉ. कृष्णा चटर्जी ने बैठक के आयोजन की महत्ता एवं उसका विद्याथिर्यों के विकास पर पड़ने वाले प्रभाव का उल्लेख किया।
प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह ने पालकों का अभिनंदन करते हुए वक्तव्य दिया कि कालेज में अध्ययनरत् छात्र 16 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के होते हैं तथा उनमें जागरूकता की कमी होती है ऐसे अभिभावकों को विद्यार्थी के शिक्षा एवं अन्य गतिविधियों के प्रति सजग रहने की आवश्यकता है। कालेज में उपलब्ध संसाधनों एवं सुविधाओं का बेहतर उपभोग कर उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करें।
उपस्थित अभिभावकों ने अपने विचार रखें एवं सुझाव भी दिये। उनके शंकाओं का समाधान भी किया गया। अधिकांश पालकों ने प्राध्यापकों के व्यवहार, शिक्षण एवं अन्य सुविधाओं की सराहना की। आयोजन के अंत में डॉ. पूर्णा बोस (संयोजक) ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर शिक्षक-अभिभावक समिति के सदस्य डॉ. ओ.पी. गुप्ता, डॉ. एस.के. चटर्जी, डॉ. मंजू कौशल, डॉ. के. आई. टोप्पो, डॉ. उषा साहू, डॉ. प्रेरणा कठाने एवं डॉ. रेखा गुप्ता सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक उपस्थित थे।