छत्तीसगढ़ में पहली बार ध्वनि तरंग से खोली गई दिल की अवरुद्ध धमनी

मेकाहारा के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के चिकित्सकों ने किया कमाल

Shockwave Angioplasty done at ACI Medical College Raipurरायपुर। कैल्शियम जमा होने से ब्लॉक हो चुकी दिल की धमनी का इलाज राज्य में पहली बार इंट्रा वैस्कुलर शॉकवेव लिथोट्रिप्सी पद्धति से हुआ। डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में हुये इस प्रोसीजर में एक 62 वर्षीय महिला का सफल इलाज किया गया। इलाज का पूरा खर्च डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत राज्य शासन ने वहन किया। इससे पहले इस पद्धति का उपयोग दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में किया गया है। छत्तीसगढ़ एवं विदर्भ में इस पद्धति के इस्तेमाल का यह पहला मौका है।Shockwave lithotripsyहृदय रोग विशेषज्ञ एवं विभागाध्यक्ष एसीआई डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि मेडिकल कॉलेज के एसीआई में यह प्रोसीजर सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। नसों में जमे हुए कैल्शियम को हटाने के लिये अब तक बायपास सर्जरी की जरूरत पड़ती थी। इस पद्धति से उसकी नस में जमे कैल्शियम को ध्वनितरंगों से तोड़कर घोला गया और घोल को एक बलून के द्वारा माइल्ड शॉक देकर निकाल दिया गया।
इस प्रकार किया जाता है प्रोसीजर
डॉ. स्मित श्रीवास्तव बताते हैं कि इस पद्धति में सबसे पहले एक बलून डाला जाता है और वह बलून हार्ट की नस जहां पर कैल्शियम होता है वहां पर स्थित करने के बाद उसके माध्यम से 40 से 80 शॉक वेव दी जाती है। जो कि उस कैल्शियम को चूर-चूर करके उसको हटा देते हैं जिसके बाद एंजियोप्लास्टी और स्टेंटिंग करना आसान हो जाता है। लिथोट्रिप्सी पद्धति से सबसे पहले कैल्शियम को हटाकर एंजियोप्लास्टी की जाती है इसलिए इसे लिथोप्लास्टी भी कहा जाता है। कैल्शियम के टुकड़ों को हटाने के लिए बेहद कम दबाव का प्रयोग किया जाता है जिससे रक्त वाहिका को किसी प्रकार की चोट की आशंका नहीं रहती। कैल्शियम आसानी से टूट जाता है। मरीज को अधिक दर्द नहीं होता और नॉर्मल टिश्यू और धमनी को नुकसान नहीं होता।
टीम में ये रहे शामिल
विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ डॉ. जोगेश विश्वदासानी, कैथलैब टेक्नीशियन आई. पी. वर्मा, राम खिलावन, खेम सिंह, आनंद बाबू, गोमती (नर्सिंग स्टॉफ), खोंगेद्र साहू और डेविड।

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