Delayed Clamping is good for the new born baby

गर्भनाल काटने में न करें हड़बड़ी, नवजात को मिलेगा लाभ

भिलाई। जन्म के पश्चात गर्भनाल को काटने में यदि थोड़ा सा विलंब किया जाए तो इससे शिशु को अनेक फायदे हो सकते हैं। इससे बच्चे के शरीर में अतिरिक्त रक्त पहुंचता है जिससे उसे एनीमिया (रक्ताल्पता) से बचाया जा सकता है। यही नहीं शिशु को स्वयं को नए परिवेष से एडजस्ट करने का भी वक्त मिल जाता है। उक्त बातें पं. जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र में नवजात शिशु विभाग की प्रमुख डॉ संबिता पंडा ने कहीं। वे दुर्ग भिलाई अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा “कॉम्पिमेन्टरी फीडिंग” पर आयोजित वेबीनार को संबोधित कर रही थीं। दुर्ग भिलाई अकादमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की अध्यक्ष डॉ संबिता ने कहा कि गर्भनाल देर से काटने से बच्चे को कई लाभ मिलते हैं। शिशु की मृत्यु होने पर ही तत्काल गर्भनाल काटी जानी चाहिए, अन्यथा गर्भनाल को कुछ 2 से 3 मिनट तक बनाए रखना उसके लिए लाभकारी होता है। इसे डिलेड क्लैंपिंग कहते हैं। उन्होंने बताया कि जन्म के समय, गर्भनाल में लगभग एक तिहाई रक्त होता है, जबकि शेष दो तिहाई नवजात शिशु में जाता है। गर्भनाल काटने में विलम्ब शिशु के शरीर में अधिक रक्त पहुंचाने में मदद करता है जिससे उसके शरीर में लौह तत्व का भंडारण और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसके अलावा यह बच्चे को बाहरी दुनिया से तारतम्य बैठाने में मदद करता है।
उन्होंने बताया कि पहले गर्भनाल की क्लैंपिंग 0 से 25 सेकण्ड में कर दी जाती थी। पर नए शोधों ने साबित किया है कि यदि गर्भनाल काटने में देरी की जाए, तो इससे बच्चे के शरीर में रक्त की मात्रा में वृद्धि हो सकती है। इससे शिशु के ब्लड प्लेटेलेट्स में आयरन का स्तर बढ़ता है, जो कि क्लॉटिंग में मदद करता है। रेड ब्लड सेल्स 60 फीसदी तक बढ़ जाते हैं जबकि वॉल्यूम में 30 फीसदी तक का इजाफा होता है। शरीर के फंक्शन के लिए स्टेम सेल आवश्यक है और यह प्रतिरक्षा तंत्र, कार्डियोवस्कुलर, सेंट्रल नर्वस और श्वसन प्रणालियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्टेम सेल किसी भी अंग की क्षति को ठीक करने में मदद करते हैं जो कि एक प्रसव के दौरान हो सकता है।
शेाध के अनुसार एक या दो मिनट की देरी से 27 से 47 मिलीग्राम तक आयरन स्टोर हो जाता है। डॉ संबिता ने बताया कि आम तौर पर लगभग 50 फीसदी नवजातों में रक्ताल्पता होती है। डिलेड क्लैंपिंग से इनकी संख्या कम की जा सकती है। आयरन की कमी के कारण सेंट्रल नर्वस सिस्टम में समस्या आ सकती है। डिलेड क्लैंपिंग से समय से पूर्व जन्मे शिशु का ब्लड प्रेशर का स्तर बेहतर हो सकता है।

य़ह जानकारी बीपीएनआई के नेशनल ट्रेनर एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ओमेश खुराना ने दी है।

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